श्रीलंका ने चीन के सामने फैलाए हाथ, कहा-बाढ़ में पुल-रेलवे और बुनियादी ढांचा तबाह, तत्काल सहायता दो

punjabkesari.in Monday, Dec 29, 2025 - 05:50 PM (IST)

International Desk: चक्रवात दित्वा से भारी तबाही झेल रहे श्रीलंका ने सोमवार को चीन से क्षतिग्रस्त पुलों और रेलवे पटरियों के पुनर्निर्माण के लिए तत्काल सहायता की मांग की। नवंबर में आए चक्रवात के कारण देश में व्यापक बाढ़, भूस्खलन और बुनियादी ढांचे का गंभीर नुकसान हुआ, जिससे आपदा-प्रबंधन क्षमता पर भारी दबाव पड़ा है। श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिथा हेराथ ने चीनी राजदूत क्वी झेनहोंग से मुलाकात कर पुनर्निर्माण में सहयोग का अनुरोध किया। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, हेराथ ने चीन से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए ‘चार्जिंग पॉइंट’ स्थापित करने में भी मदद मांगी, क्योंकि देश में चीन से आयातित ईवी की संख्या बढ़ रही है। चीनी राजदूत ने श्रीलंका को उबरने और पुनर्निर्माण में सहायता देने का आश्वासन दिया।

 

इससे पहले भी, चक्रवात के तुरंत बाद चीन ने 10 लाख अमेरिकी डॉलर की नकद सहायता और लगभग इतनी ही राशि की राहत सामग्री दी थी। कोलंबो स्थित आपदा प्रबंधन केंद्र (डीएमसी) के अनुसार, 16 नवंबर से अब तक बाढ़, भूस्खलन और भारी बारिश के कारण 638 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 175 लोग अब भी लापता हैं। हालांकि, चीन की इस मदद को लेकर आलोचनाएं भी तेज हैं। विशेषज्ञों और विपक्षी हलकों का कहना है कि चीन की सहायता अक्सर ऋण-जाल कूटनीति (debt-trap diplomacy) से जुड़ी रही है।

 

श्रीलंका पहले ही चीनी कर्ज के भारी बोझ से जूझ चुका है हंबनटोटा बंदरगाह जैसी परियोजनाओं को उदाहरण के तौर पर गिनाया जाता है। आलोचकों का सवाल है कि क्या मौजूदा राहत और पुनर्निर्माण सहायता भविष्य में श्रीलंका पर नया वित्तीय और रणनीतिक दबाव बढ़ाएगी?सरकार का तर्क है कि मौजूदा संकट में अंतरराष्ट्रीय सहयोग अनिवार्य है और किसी भी सहायता को पारदर्शी शर्तों के साथ स्वीकार किया जाएगा। वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि श्रीलंका को मानवीय जरूरतों और दीर्घकालिक आर्थिक संप्रभुता के बीच संतुलन बनाकर चलना होगा।


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Content Writer

Tanuja

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