दक्षिण कोरिया की संसद ने राष्ट्रपति के फैसले को पलटा, मार्शल लॉ का फैसला रद्द

punjabkesari.in Wednesday, Dec 04, 2024 - 06:10 AM (IST)

नेशनल डेस्कः दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार रात को राष्ट्र को संबोधित करते हुए देश में लगाए गए मार्शल लॉ को हटाने की घोषणा की। यह कदम संसद में भारी विरोध और सत्तारूढ़ व विपक्षी दलों के बीच एकजुट विरोध के बाद उठाया गया। राष्ट्रपति के इस फैसले के खिलाफ 300 में से 190 सांसदों ने मतदान किया, जिससे मार्शल लॉ को अस्वीकार कर दिया गया और उसे हटा दिया गया। 
दक्षिण कोरिया की संसद ने राष्ट्रपति के फैसले को पलटा, मार्शल लॉ का फैसला  रद्द - South Korea Parliament overturns President decision cancels martial  law decision ntc - AajTak
मार्शल लॉ की घोषणा के बाद से दक्षिण कोरिया में राजनीतिक संकट गहरा गया था। यह मार्शल लॉ दक्षिण कोरिया में 1980 के बाद पहली बार लागू किया गया था, जब छात्रों और श्रमिक संघों के नेतृत्व में एक बड़ा विद्रोह हुआ था। तब दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने सेना की मदद से देश में आपातकाल की स्थिति घोषित की थी
दक्षिण कोरिया में लगाया गया मार्शल लॉ, राष्ट्रपति यून सुक येओल ने आपातकालीन  संबोधन में की घोषणा 
राष्ट्रपति यून का बयान और मार्शल लॉ लगाने का कारण 
राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ की घोषणा करते हुए विपक्षी दलों पर आरोप लगाया था कि वे सरकार को पंगु बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उत्तर कोरिया के प्रति सहानुभूति रखते हैं और देश की संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने अपनी सरकार और सेना के बल से देश की स्वतंत्रता और संविधान की रक्षा करने की बात की थी। यून ने कहा था, "दक्षिण कोरिया को उत्तर कोरिया की कम्युनिस्ट ताकतों से उत्पन्न खतरों से बचाने और देश विरोधी तत्वों को समाप्त करने के लिए यह कदम उठाना आवश्यक है।" 
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यह घोषणा दक्षिण कोरिया के आगामी बजट को लेकर सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच चल रहे तीव्र विवादों के बीच की गई थी। राष्ट्रपति का आरोप था कि विपक्षी दलों ने बजट प्रस्तावों को रोकने और देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने के लिए जानबूझकर विघटनकारी कदम उठाए हैं। 

राजनीतिक विरोध और सड़कों पर प्रदर्शन 
मार्शल लॉ की घोषणा के बाद दक्षिण कोरिया में राजनीतिक तनाव और बढ़ गया था। संसद में हुए मतदान में मार्शल लॉ के खिलाफ भारी समर्थन था, जहां 190 सांसदों ने इसका विरोध किया और इसे संविधान के खिलाफ करार दिया। इसके बाद संसद के बाहर भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन हुए, जहां लोग दक्षिण कोरियाई ध्वज लहराकर और नारेबाजी करते हुए सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। कई सैकड़ों विरोधी और मीडिया कर्मी संसद के बाहर जुटे, जिससे माहौल और भी गरम हो गया था। 

विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति यून के फैसले को "असंवैधानिक" बताते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी करार दिया। विपक्षी नेताओं का कहना था कि मार्शल लॉ लागू कर राष्ट्रपति ने लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचला है और संवैधानिक प्रक्रिया को ताक पर रखा है। 

राष्ट्रपति के खिलाफ पार्टी के भीतर भी असंतोष 
राष्ट्रपति यून सुक-योल के मार्शल लॉ लागू करने के फैसले का उनके ही दल के भीतर से भी विरोध हुआ। सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी के प्रमुख नेता हैन डोंग-हून ने भी राष्ट्रपति के कदम का विरोध किया और संसद में हुए मतदान में भाग लिया। पार्टी के भीतर ही इस फैसले को लेकर गहरी असहमति थी, जिससे राष्ट्रपति की स्थिति और भी कमजोर हो गई थी।

मार्शल लॉ का हटना 
उक्त विरोधों और संसद में हुई निर्णायक वोटिंग के बाद, राष्ट्रपति यून को अपना फैसला वापस लेना पड़ा। उन्होंने देशवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि यह निर्णय संविधान और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान करते हुए लिया गया है। मार्शल लॉ को हटाए जाने के बाद स्थिति कुछ हद तक सामान्य हुई, लेकिन विपक्षी दलों और नागरिकों के बीच असंतोष अभी भी बना हुआ था। 

इस घटनाक्रम से यह भी साफ हो गया कि दक्षिण कोरिया में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लेकर गहरी चिंता और राजनीतिक असहमति की स्थिति बन चुकी है, जिसमें आगे की राजनीतिक दिशा को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।


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Content Writer

Pardeep

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