इंग्लैंड में सिखों ने लाहौर संधि को लेकर महाराजा दलीप सिंह के समाधि स्थल पर मनाया विश्वासघात दिवस

punjabkesari.in Sunday, Mar 12, 2023 - 06:59 PM (IST)

लंदनः  ब्रिटेन में सिख समुदाय ने  महाराजा दलीप सिंह के समाधि स्थल पर अंग्रेजों द्वारा सिख राज समाप्त करने पर लाहौर संधि में  दिए धोखे को लेकर विश्वासघात दिवस मनाया। भारत की स्वतंत्रता से एक सदी पहले, 9 मार्च 1846 को ब्रिटिश सरकार द्वारा 8 वर्षीय शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के बेटे दलीप सिंह और सिख साम्राज्य के अंतिम महाराजा के साथ लाहौर की संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। प्रथम एंग्लो-सिक्ख युद्ध को दर्शाने के लिए संधि हुई। इस संधि पर अंग्रेजों ने गवर्नर-जनरल सर हेनरी हार्डिंग और ईस्ट इंडिया कंपनी के दो अधिकारियों के माध्यम से हस्ताक्षर किए थे और उसके बाद 1849 में सिख साम्राज्य पर  ब्रिटिश सरकार द्वारा कब्जा कर लिया गया  ।

 

इस अवधि के दौरान महारानी जींद कोर को निर्वासित कर दिया गया था। महाराजा दलीप सिंह इंग्लैंड में बसे सिख समुदाय ने आज एलवेडन, थेटफोर्ड में महाराजा दलीप सिंह की समाधि में शामिल होकर और इसे विश्वासघात  दिवस के रूप में मनाकर एक नया रूप दिया।इस मौके पर सजा पूरी होने के बावजूद लंबे समय से बोरेल जेल में बंद सिख कैदी जगतार सिंह तारा और परमजीत सिंह भिउरा ने भी दुनिया भर में रह रहे सिखों से इंग्लैंड में एकत्रित होने की अपील की।

 

सभी सिखों ने महाराजा दलीप सिंह की समाधि पर अपना सम्मान व्यक्त किया और उनकी माता महारानी जींद कौर ने उन्हें अपने धर्म, विरासत और गौरवशाली राज्य के बारे में बताया।  इस अवसर पर सरबजीत सिंह बर्मिंघम, उपाध्यक्ष अजयपाल सिंह नागोके, महासचिव सतिंदर सिंह मंगूवाल, आयोजक प्रीतकमल और श्री जसपाल सिंह वडाला वरिष्ठ उपाध्यक्ष बर्मिंघम शाखा, अवतार सिंह खांडा, श्रीमती सरबजीत कौर, श्रीमती सुरजीत कौर कांग भी उपस्थित थे। वर्तमान। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सिख राष्ट्र आज अंग्रेजों के अनादर और उस समय के भारतीय नेताओं की उदासीनता के कारण एक राज्यविहीन राष्ट्र बन गया है। उन्होंने कहा कि 1978 से सिखों का नरसंहार हो रहा है और सरकारें आज तक उसके साथ न्याय नहीं कर पाई हैं।


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Content Writer

Tanuja

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