सैन फ्रांसिस्को में एयरपोर्ट पर चेहरा पहचानने वाली तकनीक बैन, यहीं हुई थी शुरुआत

punjabkesari.in Thursday, May 16, 2019 - 12:09 PM (IST)

 

लॉस एंजलिसः अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को से शुरू हुई चेहरा पहचानने वाली तकनीक भारत सहित कई देशों के एयरपोर्ट में अपनाई जा रही है। लेकिन बुधवार को सैन फ्रांसिस्को में ही इस पर बैन लगा दिया गया क्योंकि इसके जरिए चेहरों की गलत पहचान हो रही थी व सामूहिक निगरानी के लिए इसका ज्यादा दुरुपयोग हो रहा था। पुलिस और जांच एजेंसियां इस बात को लेकर परेशान थी कि इस तकनीक के कारण लोगों की निजी जानकारियां सार्वजनिक हो रही थीं।

पुलिस और जांच एजेंसियों के खिलाफ रोजाना दो से तीन मुकदमे दर्ज हो रहे थे। पिछले महीने ही गलत पहचान के कारण ऑस्मेन बेह नाम के एक युवक ने चोरी के आरोप में फंसाने पर एपल कंपनी के खिलाफ 6,900 करोड़ रुपए का मुकदमा दर्ज करवाया था। सैन फ्रांसिस्को के बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स ने 8 के बदले 1 वोट से इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। लिहाजा, वीडियो क्लिप या फोटोग्राफ के आधार पर किसी की पहचान का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने से सार्वजनिक एजेंसियों को मना कर दिया गया है।

यहां गोपनीयता और नागरिक अधिकारों का समर्थन करने वाले इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सामूहिक निगरानी के लिए इस तकनीक का दुरुपयोग किया जा सकता है। इससे ज्यादा झूठी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। सैन फ्रांसिस्को में गूगल, एपल और फेसबुक जैसी दुनिया की दिग्गज कंपनियां स्थापित हैं। इन कंपनियों के इंजीनियरों ने ऐसे सिस्टम तैयार किए हैं, जो व्यवसाय और ग्राहकों के उपयोग के लिए चेहरों की पहचान और उनका पता लगा सकते हैं।

भारत में भी बेंगलुरु समेत 8 एयरपोर्ट्स पर यह सुविधा इसी साल से लागू होने जा रही है। जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के छात्र जोनाथन टर्ले का कहना है कि यह प्रतिबंध हमें सिखाता है कि टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करना हमारे लिए सही नहीं है। यह शहर बड़ी आईटी कंपनियों का हब है। इसके बावजूद इस पर बैन लगाया गया है, जो एक सराहनीय कदम है। कोई भी संघीय कानून राष्ट्रव्यापी चेहरे की पहचान के उपयोग को नियंत्रित नहीं कर सकता है।


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Tanuja

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