हिरोशिमा एटमी अटैक: 12 साल की सदाको की दर्दनाक कहानी ऐसे बयां कर रहे बच्चे

punjabkesari.in Sunday, Aug 07, 2016 - 03:07 PM (IST)

नई: आेरिगेमी पेपर से बने छोटे छोटे सारस हाथों में लिए शहर के झुग्गी बस्ती इलाके के बच्चे 12 साल की नन्हीं सदाको सासाकी की कहानी सुना रहे हैं। सादाको को नागासाकी हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम के कारण अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा था। 1945 में परमाणु बम हमले के आतंक की कहानी को बयां करती और बच्चों द्वारा बनाई गई पेंटिंग की प्रदर्शनी यहां जापान फाउंडेशन में नौ अगस्त से लगाई जाएगी। इस साल जापान में इस हमले की 71वीं बरसी है।

असीम आशा फाउंडेशन की संस्थापक असीम आशा उस्मान ने बताया, ‘‘हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बमों के कारण सादाको सासाकी विकिरण का शिकार हुई थी और ल्यूकेमिया से पीड़ित पाई गई थी। उसकी यह इच्छा थी कि उसकी मौत को टालने के लिए एक हजार पेपर क्रेन यानी आेरिगेमी पेपर से सारस बनाए जाएं लेकिन वह केवल 614 सारस ही बना पाई और 12 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।’’  वह बताती हैं, ‘‘सादाको उसके बाद से ही शांति का प्रतीक बन गई। हमने एनजीआे अपने आप वीमेन वर्ल्डवाइड के साथ मिलकर नजफगढ़ इलाके में दिल्ली नगर निगम स्कूल के सैंकड़ों छात्रों को आेरिगेमी सारस बनाने (कागज को मोड़कर आकृतियां बनाने की जापानी कला) का प्रशिक्षण प्रदान किया है।

जामिया नगर के दबे कुचले बच्चों के साथ पिछले आठ साल से काम कर रहीं असीम आशा बताती हैं कि इस पहल का मकसद परमाणु आयुधों और इनके खतरों के प्रति दुनिया का ध्यान आकर्षित करना है। वह कहती हैं, ‘‘ बच्चे राष्ट्र की भावी संपदा हैं। उनके लिए बहुत छोटी सी उम्र में ही दुनिया के बारे में जानना बहुत जरूरी है। हिरोशिमा और नागासाकी केवल जापान के विनाश की कहानी भर नहीं है। यह एक खाक से शुरू कर दुनिया का सर्वाधिक विकसित देश बनने की एक राष्ट्र की प्रतिबद्धता की कहानी भी है।


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