अमेरिका की पनडुब्बी तैनाती के बाद रूस ने छोड़ा परमाणु समझौता, दोनो देशों में फिर बढ़ा तनाव
punjabkesari.in Tuesday, Aug 05, 2025 - 06:30 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः रूस ने ऐलान किया है कि वह अब परमाणु हथियारों से जुड़ी एक महत्वपूर्ण संधि (INF संधि) का पालन नहीं करेगा। रूस का कहना है कि वह अब मध्यम और कम दूरी की परमाणु मिसाइलें दोबारा तैनात करेगा। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो परमाणु पनडुब्बियों को संवेदनशील इलाकों में तैनात करने का आदेश दिया था। रूस ने इसे अमेरिका की "उकसाने वाली कार्रवाई" बताया है।
The Russian Foreign Ministry's statement on the withdrawal of the moratorium on the deployment of medium- and short-range missiles is the result of NATO countries’ anti-Russian policy.
— Dmitry Medvedev (@MedvedevRussiaE) August 4, 2025
This is a new reality all our opponents will have to reckon with. Expect further steps.
क्या कहा रूस ने?
रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सुरक्षा परिषद के डिप्टी चेयरमैन दिमित्री मेदवेदेव ने कहा: “अब हम किसी रोक या संधि के पाबंद नहीं हैं। यह एक नया यथार्थ है, जिसे हमारे विरोधियों को स्वीकार करना होगा।” रूसी विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान में कहा: “हम अब खुद पर लगाई गई उस रोक का पालन नहीं करेंगे जो हमने 2019 में INF संधि के तहत की थी।”
अमेरिका की प्रतिक्रिया क्या रही?
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा: “मैंने दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का आदेश दिया है... ताकि अगर रूस के बयानों का कोई गंभीर परिणाम निकले, तो हम तैयार रहें। शब्दों की अहमियत होती है और वे अक्सर अनजाने में गंभीर परिणाम दे सकते हैं।”
INF संधि क्या है?
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पूरा नाम: Intermediate-Range Nuclear Forces Treaty
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हस्ताक्षर: 1987 में अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत संघ के मिखाइल गोर्बाचोव के बीच।
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उद्देश्य:
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500 से 5,500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली ज़मीन से लॉन्च होने वाली परमाणु और पारंपरिक मिसाइलों पर प्रतिबंध लगाना।
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इस संधि के तहत अमेरिका और सोवियत संघ ने 2,600 से ज़्यादा मिसाइलें नष्ट की थीं।
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संधि का पतन कैसे हुआ?
2019: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस पर संधि उल्लंघन का आरोप लगाकर अमेरिका को संधि से बाहर कर लिया। रूस ने तब कहा था कि जब तक अमेरिका मिसाइलें तैनात नहीं करता, हम भी नहीं करेंगे। लेकिन अब रूस का आरोप है कि अमेरिका यूरोप और एशिया में फिर से मिसाइलें तैनात कर रहा है, इसलिए वह भी अब उस रोक का पालन नहीं करेगा।
इसका मतलब क्या है?
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परमाणु हथियारों की दौड़ दोबारा शुरू हो सकती है।
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यूरोप और एशिया में तनाव बढ़ सकता है क्योंकि अब दोनों देश मिसाइलें तैनात कर सकते हैं।
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NATO और अमेरिका के साथ रूस का टकराव और गहराएगा।
दुनिया को क्या डर है?
कई देशों को डर है कि इससे नई 'शीत युद्ध' जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। यूरोप, जो पहले से रूस-यूक्रेन युद्ध की मार झेल रहा है, अब और ज़्यादा सैन्य दबाव में आ सकता है।