स्वीडन में कुरान जलाने के विरोध में प्रदर्शन, तुर्की-पाकिस्तान व सऊदी सहित भड़के कई मुस्लिम देश

punjabkesari.in Monday, Jan 23, 2023 - 11:05 AM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्कः  इस्लाम में पवित्र मानी जाने वाली किताब कुरान को स्वीडन में जलाने के खिलाफ तुर्किए में रविवार को लगातार दूसरे दिन प्रदर्शन हुआ। करीब 250 लोग इस्तांबुल स्थित स्वीडिश महा वाणिज्यदूतावास के समक्ष एकत्र हुए और उन्होंने विरोध स्वरूप डेनमार्क के इस्लाम विरोधी कार्यकर्ता रासमुस पलदुन की तस्वीर जलाई। पलदुन ने शनिवार को स्टॉकहोल्म में तुर्किए के दूतावास के सामने इस्लाम की पवित्र किताब को कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया था जिसके बाद रात में तुर्किये के इस्तांबुल और अंकारा शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।

 

हालांकि स्वीडिश प्रधानमंत्री ने इस मामले को लेकर माफी मांगी है। उन्होंने अपने ट्विटर पोस्ट किया- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का मूलभूत अंग है। लेकिन जो कानूनी है वह जरूरी नहीं है। बहुत से लोगों के लिए पवित्र पुस्तकों को जलाना एक घोर निंदनीय कृत्य है। मैं आज स्टॉकहोम में जो कुछ हुआ उससे आहत सभी मुसलमानों के लिए अपनी सहानुभूति व्यक्त करना चाहता हूं। स्वीडन के विरोध में दुनिया में मौजूद अधिकतर मुस्लिम देशों ने प्रतिक्रिया दर्ज करवाई है। इसमें तुर्की, पाकिस्तान समेत अन्य देशों ने कुरान जलाने के लेकर आपत्ति जताई है।

PunjabKesari

इस्तांबुल में रविवार को प्रदर्शन करने वाले हाथ में हरे रंग के झंडे लिए हुए थे और उनके हाथों में बैनर था जिसमें लिखा था‘‘हम स्वीडन की सरकार समर्थित इस्लामोफोबिया की निंदा करते हैं।'' गौरतलब है कि तुर्किये के अधिकारियों ने स्टॉकहोल्म में इस्लाम विरोधी कार्यकर्ता को प्रदर्शन की अनुमति देने के फैसले को लेकर स्वीडन की निंदा की थी लेकिन राष्ट्रपति रसेप तैय्यब एर्दोआन ने अपने सप्ताहांत भाषण में इस पूरे प्रकरण पर कोई टिप्पणी नहीं की।  मुस्लिम धर्म के लिए कुरान सबसे पवित्र किताब है।

PunjabKesari

क्या है मामला ?
 हाल ही में स्वीडन नाटो में शामिल होने की कोशिश कर रहा है । इसको लेकर तुर्की और स्वीडन के बीच नाटो से रिलेटेड मुद्दा विवाद प्रदर्शनों से जुड़ गया।  नाटो में कोई सदस्य तभी शामिल हो सकता है, जब सभी सदस्यों की सहमति हो. इसी दौरान तुर्की स्वीडन के नाटो में शामिल होने को लेकर विरोध कर रहा है। नाटो से स्वीडन से जुड़ने के विवाद की शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से शुरू हुई जहां पर विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने तुर्की दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया। इसी प्रदर्शन के दौरान धुर दक्षिणपंथी डेनिश राजनीतिक पार्टी के नेता स्ट्रैम कुर्स रासमस पलुदान ने कुरान को जला दिया। कई मुस्लिम देशों ने कुरान जलाने को लेकर स्वीडन कि निंदा की है। इसका जवाब देते हुए तुर्की के कुछ समर्थकों ने स्वीडन के राष्ट्रीय ध्वज को जला दिया।
 

PunjabKesari

जानें किस देश ने क्या कहा ?
पाकिस्तान- कुरान जलाने पर पाकिस्तान ने कहा कि इस तरह के काम दुनिया में मौजूद 1.5 अरब मुस्लिम लोगों के धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि इस तरह की चीजें फ्रीडम ऑफ स्पीच के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है। पाकिस्तान ने कहा कि इस्लाम शांति का धर्म है और हम दुनिया में जितने लोग मुस्लिम से अलग धर्म से जुड़ें हुए हैं, उनका आदर और सम्मान करते हैं।

 

तुर्की- तुर्की के विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा है, "  बार-बार की चेतावनी के बावजूद  21 जनवरी को स्वीडन में हमारे पवित्र ग्रंथ कुरान पर हमला हुआ।   इसकी कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करते तुर्की ने कहा  फ्रीडम ऑफ स्पीच की स्वतंत्रता की आड़ में मुसलमानों को टारगेट करने और हमारे पवित्र मूल्यों का अपमान करने वाले इस इस्लाम विरोधी एक्ट की अनुमति देना पूरी तरह से गलत है।

 

कुवैत- कुवैती विदेश मंत्री शेख सलेम अब्दुल्ला अल जबेर अल सबाह ने राज्य समाचार एजेंसी KUNA के ओर से जारी बयानों में कहा, "यह घटना दुनिया भर में मुसलमानों की भावनाओं को आहत करती है और गंभीर उकसावे का प्रतीक है।" उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस तरह के अपमानजनक कामों को रोकने और घृणा उग्रवाद के सभी रूपों की निंदा करने और अपराधियों को जवाबदेही के लिए जिम्मेदार ठहराने की जिम्मेदारी लेने का अनुरोध किया।

 

सऊदी अरब- सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "सऊदी अरब संवाद, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के मूल्यों को फैलाने का अनुरोध करता है और नफरत और उग्रवाद को खारिज करता है।" संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि यह "मानव और नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के उल्लंघन में सुरक्षा और स्थिरता को अस्थिर करने के उद्देश्य से सभी प्रथाओं" के खिलाफ था।

 

कतर-ईरानः कतर ने पवित्र कुरान को जलाने की स्वीडिश अधिकारियों की अनुमति की निंदा की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से घृणा और हिंसा को अस्वीकार करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाने का अनुरोध किया।  विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने इसे मुसलमानों के खिलाफ नफरत और हिंसा भड़काने का प्रयास बताते हुए कहा कि कुछ यूरोपीय देशों ने बोलने की आजादी की वकालत करने के झूठे फैलाने के तहत "चरमपंथी और कट्टरपंथी तत्वों को इस्लामी मूल्यों और मूल्यों के खिलाफ नफरत फैलाने की अनुमति दी है।"

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Related News