अलास्का वार्ता से पहले पुतिन ने कहा- ट्रंप ईमानदारी से कर रहे यूक्रेन युद्ध रोकने का प्रयास, अमेरिका की खुलकर की तारीफ
punjabkesari.in Thursday, Aug 14, 2025 - 05:43 PM (IST)

International Desk: रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए प्रस्तावित अलास्का शिखर बैठक से पहले रूस में तैयारियां तेज़ हो गई हैं। रूसी समाचार एजेंसी TASS के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने वाली वार्ता की रूपरेखा पर चर्चा हुई। बैठक के बाद पुतिन ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन युद्ध समाप्त करने के लिए “ईमानदार प्रयास” कर रहा है। उन्होंने संकेत दिया कि मॉस्को और वॉशिंगटन के बीच परमाणु हथियार नियंत्रण (न्यूक्लियर आर्म्स कंट्रोल) पर एक समझौता संभव है, जो शांति को मजबूत करने में मदद करेगा।
पुतिन का यह बयान ऐसे समय आया है जब ट्रंप और पुतिन की शुक्रवार को अलास्का में सीधी वार्ता होनी है, जिसे यूक्रेन संघर्ष समाप्त करने के लिए एक अहम मौका माना जा रहा है। रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को देश के शीर्ष सैन्य, सुरक्षा और विदेश नीति अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ होने वाली वार्ता के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई।
बैठक के बाद पुतिन ने अमेरिकी प्रशासन की भूमिका की खुलकर सराहना करते हुए कहा कि वॉशिंगटन, यूक्रेन संघर्ष समाप्त करने के लिए “ईमानदार प्रयास” कर रहा है। यह बैठक शुक्रवार को अलास्का में होने वाली है और इसे रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी ठोस समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा है। दोनों नेता इस मुलाकात में युद्धविराम, शांति वार्ता, आर्थिक प्रतिबंधों में संभावित ढील, और ऊर्जा-खनिज सहयोग जैसे मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं।
हाल के हफ्तों में, पुतिन ने अमेरिकी नेतृत्व के प्रति अपेक्षाकृत सकारात्मक रुख दिखाया है, जबकि ट्रंप प्रशासन ने भी युद्ध खत्म करने के लिए कई कूटनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव आगे बढ़ाए हैं। इससे पहले, रूसी राष्ट्रपति ने कहा था कि अगर अमेरिका और उसके सहयोगी गंभीरता से वार्ता में शामिल हों, तो यूक्रेन संकट का समाधान संभव है।इस वार्ता से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी बड़ी उम्मीदें जुड़ी हैं, क्योंकि यदि पुतिन और ट्रंप किसी प्रारंभिक सहमति पर पहुंचते हैं, तो यह न केवल पूर्वी यूरोप बल्कि वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था पर भी गहरा असर डालेगा।