अप्रैल का महीना इलिनोइस में ‘सिख जागरुकता माह’ के रूप में मनाया जाएगा : अमेरिकी सांसद
punjabkesari.in Wednesday, Apr 21, 2021 - 09:58 AM (IST)
वाशिंगटन, 21 अप्रैल (भाषा) भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के अपने गृह राज्य इलिनोइस में अप्रैल को ‘सिख प्रशंसा और जागरुकता माह’ के तौर पर मान्यता देने के प्रस्ताव को संसदीय रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है।
इस मान्यता के महत्व को रेखांकित करते हुए कृष्णमूर्ति ने कहा कि सिख-अमेरिकी समुदायों के खिलाफ घृणा अपराध और हिंसक कृत्य बढ़ते जा रहे हैं। कृष्णमूर्ति ने कांग्रेस रिकॉर्ड में दर्ज किए गए बयान में कहा, “स्पीकर मैडम, आज मैं अपने गृह राज्य इलिनोइस में अप्रैल माह को ‘सिख प्रशंसा एवं जागरुकता माह’ के तौर पर मान्यता देने का प्रस्ताव देता हूं।” उन्होंने कहा कि सिख-अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराधों और हिंसक कृत्यों को देखते हुए यह मान्यता समय से दी जा रही है। हिंसा की सबसे हालिया घटना 15 अप्रैल को इंडियापोलिस स्थित फेडरल एक्सप्रेस केंद्र पर हुई जिसमें तीन महिलाओं समेत चार सिखों की मौत हो गई थी।
कृष्णमूर्ति ने कहा कि सिख धर्म के प्रथम अनुयायी 125 वर्ष पहले अमेरिका आए जहां उन्होंने कैलिफोर्निया के खेतों में और वाशिंगटन में लकड़ी की मिलों में काम किया।
उन्होंने कहा कि दमन एवं भेदभाव झेलने के बावजूद, इन देशभक्त सिख-अमेरिकियों ने लगन दिखाई और नागरिक जीवन में भाग लिया तथा अमेरिकी सेना में सेवा दी।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
इस मान्यता के महत्व को रेखांकित करते हुए कृष्णमूर्ति ने कहा कि सिख-अमेरिकी समुदायों के खिलाफ घृणा अपराध और हिंसक कृत्य बढ़ते जा रहे हैं। कृष्णमूर्ति ने कांग्रेस रिकॉर्ड में दर्ज किए गए बयान में कहा, “स्पीकर मैडम, आज मैं अपने गृह राज्य इलिनोइस में अप्रैल माह को ‘सिख प्रशंसा एवं जागरुकता माह’ के तौर पर मान्यता देने का प्रस्ताव देता हूं।” उन्होंने कहा कि सिख-अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराधों और हिंसक कृत्यों को देखते हुए यह मान्यता समय से दी जा रही है। हिंसा की सबसे हालिया घटना 15 अप्रैल को इंडियापोलिस स्थित फेडरल एक्सप्रेस केंद्र पर हुई जिसमें तीन महिलाओं समेत चार सिखों की मौत हो गई थी।
कृष्णमूर्ति ने कहा कि सिख धर्म के प्रथम अनुयायी 125 वर्ष पहले अमेरिका आए जहां उन्होंने कैलिफोर्निया के खेतों में और वाशिंगटन में लकड़ी की मिलों में काम किया।
उन्होंने कहा कि दमन एवं भेदभाव झेलने के बावजूद, इन देशभक्त सिख-अमेरिकियों ने लगन दिखाई और नागरिक जीवन में भाग लिया तथा अमेरिकी सेना में सेवा दी।
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