चीन ने खाद्य संकट को टालने के लिए ‘‘क्लीन योर प्लेट’’ अभियान शुरू किया
punjabkesari.in Thursday, Aug 13, 2020 - 11:42 PM (IST)
के जे एम वर्मा
बीजिंग, 13 अगस्त (भाषा) चीन ने भोजन की बर्बादी रोकने के लिए "क्लीन योर प्लेट’’ अभियान का नया संस्करण शुरू किया है। इससे ऐसी अटकलों को बल मिला है कि कोरोना वायरस महामारी के बाद दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश खाद्ध संकट का सामना कर रहा है।
इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस अभियान की शुरूआत की थी। उन्होंने कहा था कि भोजन की बर्बादी परेशान करने वाली बात है और जरूरी है कि इस संबंध में सार्वजनिक जागरूकता को और बढ़ाया जाए, मितव्ययी आदतें अपनायी जाएं और एक सामाजिक वातावरण को बढ़ावा दिया जाए जहां बर्बादी शर्मनाक हो।
सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले अभियान का मकसद अधिकारियों के महंगे भोज पर रोक लगाना था। इस दूसरे संस्करण में जनता से आह्वान किया गया है कि वे भोजन की बर्बादी नहीं करें।
उसने कहा कि शुरू में इस पहल से कुछ मीडिया घरानों द्वारा ऐसी अटकलों को हवा दी गयी थी कि क्या चीन में खाद्य संकट है। विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया वास्तव में भोजन की कमी का सामना करती है, लेकिन चीन के लिए, खाद्ध सुरक्षा को असली खतरा महामारी या बाढ़ से नहीं बल्कि भोजन की बर्बादी से है।
शी ने 2012 में सत्ता संभालने के बाद अपनी छवि बेहतर बनाने के प्रयासों के तहत शराब के साथ महंगे भोजों पर, खासकर सेना में, प्रतिबंध लगा दिया था। सरकारी भोजों के दौरान भोजन की बर्बादी से बचने और बचे हुए खाने के उपयोग का निर्देश दिया गया था।
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि समय बीतने के साथ ही पुरानी प्रथाओं में से अधिकतर प्रभावी हो गयीं।
चीन के खाद्यान्न संबंधी विभाग के उप निदेशक वू जिदान के अनुसार, देश में 32.6 अरब अमेरिकी डॉलर के भोजन की बर्बादी होती है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
बीजिंग, 13 अगस्त (भाषा) चीन ने भोजन की बर्बादी रोकने के लिए "क्लीन योर प्लेट’’ अभियान का नया संस्करण शुरू किया है। इससे ऐसी अटकलों को बल मिला है कि कोरोना वायरस महामारी के बाद दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश खाद्ध संकट का सामना कर रहा है।
इससे पहले चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस अभियान की शुरूआत की थी। उन्होंने कहा था कि भोजन की बर्बादी परेशान करने वाली बात है और जरूरी है कि इस संबंध में सार्वजनिक जागरूकता को और बढ़ाया जाए, मितव्ययी आदतें अपनायी जाएं और एक सामाजिक वातावरण को बढ़ावा दिया जाए जहां बर्बादी शर्मनाक हो।
सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले अभियान का मकसद अधिकारियों के महंगे भोज पर रोक लगाना था। इस दूसरे संस्करण में जनता से आह्वान किया गया है कि वे भोजन की बर्बादी नहीं करें।
उसने कहा कि शुरू में इस पहल से कुछ मीडिया घरानों द्वारा ऐसी अटकलों को हवा दी गयी थी कि क्या चीन में खाद्य संकट है। विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया वास्तव में भोजन की कमी का सामना करती है, लेकिन चीन के लिए, खाद्ध सुरक्षा को असली खतरा महामारी या बाढ़ से नहीं बल्कि भोजन की बर्बादी से है।
शी ने 2012 में सत्ता संभालने के बाद अपनी छवि बेहतर बनाने के प्रयासों के तहत शराब के साथ महंगे भोजों पर, खासकर सेना में, प्रतिबंध लगा दिया था। सरकारी भोजों के दौरान भोजन की बर्बादी से बचने और बचे हुए खाने के उपयोग का निर्देश दिया गया था।
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि समय बीतने के साथ ही पुरानी प्रथाओं में से अधिकतर प्रभावी हो गयीं।
चीन के खाद्यान्न संबंधी विभाग के उप निदेशक वू जिदान के अनुसार, देश में 32.6 अरब अमेरिकी डॉलर के भोजन की बर्बादी होती है।
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