ट्रम्प के ई-मेल मतपत्र और कोविड-19 टीके पर दावे को लेकर उठे सवाल

punjabkesari.in Saturday, Aug 08, 2020 - 08:06 PM (IST)

वाशिंगटन, आठ अगस्त (एपी) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके सहयोगी लगातार एक हफ्ते से नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में ई-मेल मतपत्र से मतदान करने के विचार का विरोध कर रहे हैं।
ट्रम्प को भय है कि महामारी के दौरान ई-मेल से मतदान की संख्या बढ़ सकती है और यह उनके खिलाफ जाएगी। अमेरिकी राष्ट्रपति तर्क दे रहे हैं कि ई-मेल मतपत्र से धोखाधड़ी हो सकती है कि लेकिन यह माध्यम मतदाताओं के लिए सुरक्षित है। हालांकि, दोनों में कोई कार्यकारी अंतर नहीं है, दोनों ही गहन सत्यापन प्रणाली पर आधारित हैं।
वहीं उन्होंने दावा किया कि चुनाव की तारीख तक कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए टीका उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने यह भी दावा कि कि बच्चों में इस संक्रमण का मुकाबला करने के लिए प्रतिरोधक क्षमता मौजूद है। हालांकि, इस दावे वाले पोस्ट को फेसबुक और ट्विटर ने भ्रामक सूचना के तहत हटा दिया।
ट्रम्प ने सोमवार को जारी एक्सिओस के साक्षात्कार में कहा कि सार्वभौमिक ई-मेल मतदान में भ्रष्टाचार को देख रहे हैं और अनुपस्थिति मतपत्र ठीक है।

उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने भी फॉक्स न्यूज से कहा कि अनुपस्थिति मतपत्र स्वीकार्य है। आपको अनुपस्थिति मतपत्र के लिए आवेदन करना होता है, हस्ताक्षर का मिलान कर पुष्टि की जाती है। यह लंबी परंपरा रही है...लेकिन सार्वभौमिक ई-मेल मतदान से आप पूरे अमेरिका में मतपत्रों की बरसात देंखेगे... यह धोखाधड़ी के लिए है।’’
हालांकि, तथ्य यह है कि राष्ट्रपति ट्रम्प और उपराष्ट्रपति पेंस गलत दावा कर रहे हैं। ई-मेल मतपत्र का ठीक उसी तरह से इस्तेमाल किया जाता है जिस तरह से अनुपस्थिति मतपत्र का। इसमें भी कई राज्यों में हस्ताक्षर के मिलान सहित उतनी ही जांच की जाती है। अमेरिका के 30 राज्यों और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया में अनुपस्थित मतपत्र के जरिये मतदान का अधिकार है। इसमें दूसरे शहर में होने सहित विभिन्न कारणों से मतदाता ई-मेल के जरिये मतदान कर सकते हैं।
फ्लोरिडा में 2016 में कानून में बदलाव कर अनुपस्थिति मतपत्र का नाम बदलकर ई-मेल से मतदान किया गया ताकि स्पष्ट हो कि मतदाता चाहे तो ई-मेल के जरिये मतदान कर सकता है।
पिछले चुनावों के अध्ययन के आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि ई-मेल के जरिये मतदान में धोखाधड़ी की आशंका बहुत कम है। ब्रेनन सेंटर फॉर जस्टिस के 2017 के आकलन के मुताबिक मतपत्र में फर्जीवाड़ा की आशंका महज 0.00004 से 0.0009प्रतिशत तक है।
एपी धीरज नीरज नीरज 0808 2000 वाशिंगटन

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PTI News Agency

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