SCO समिट की तैयारियां तेज, चीन के तियानजिन में जुटेंगे एशिया के ताकतवर नेता
punjabkesari.in Wednesday, Jul 16, 2025 - 05:36 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को पुष्टि की कि चीन 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 को तियानजिन में होने वाले 25वें SCO (शंघाई सहयोग संगठन) के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। यह इस साल ‘SCO का चीन वर्ष’ है, जिसके तहत चीन अब तक 100 से अधिक कार्यक्रम चला चुका है।
सम्मेलन की मुख्य रूपरेखा:
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आयोजन तियानजिन के Haihe नदी के किनारे होगा–एक ऐतिहासिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर।
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सम्मेलन में 20+ देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख हिस्सा लेंगे।
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सभी SCO सदस्य देश—जैसे भारत, रूस, पाकिस्तान, ईरान समेत—के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ़, बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको और अन्य शीर्ष नेता होंगे।
सम्मेलन की प्रमुख थीम और एजेंडा:
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सुरक्षा चुनौतियाँ: आतंकवाद, अलगाववाद, चरमपंथ से लड़ाई, और साइबर सुरक्षा।
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आर्थिक विकास, व्यापार, कनेक्टिविटी, और SCO देशों में आपसी निवेश को बढ़ावा।
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SCO की ग्लोबल भूमिका—निषेधात्मक नीतियों का विरोध, मल्टीलेटरलिज़्म (बहुपक्षवाद) का समर्थन, और Belt & Road Initiative जैसी पहलों में तालमेल।
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द्विपक्षीय बातचीत: ईरान जैसे देशों को चीनी और रूसी समेत अन्य सहयोगियों से समझौते करने का अवसर भी मिलेगा।
भारत की भागीदारी:
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पहला पॉलिटिकल/फारमिन्स मिनिस्ट्री बैठक तियानजिन में आयोजित हो चुका है, जिसमें एस. जयशंकर, लावरोव, इसहाक डार, अब्बास अराघची आदि उपस्थित थे।
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हालांकि इस बार प्रधानमंत्री मोदी सम्मेलन में न जा सकते हैं, क्योंकि पाकिस्तान के पीएम से संभावित आमने-सामने मुलाकात से बचने का फैसला हो सकता है; इसके स्थान पर जयशंकर प्रतिनिधित्व करेंगे।
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विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा: "आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ के खिलाफ कार्रवाई अब केवल शब्दों में नहीं, बल्कि ठोस कदमों में होनी चाहिए"।
शिखर सम्मेलन का महत्व संक्षेप में
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यह SCO संगठन का 25वां शिखर सम्मेलन है, और यह चीन का पांचवां आयोजन भी है ।
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तकनीकी मंच उपलब्ध कराए जाएंगे—जैसे Belt & Road, Haihe नदी के आसपास, Tianjin Port, स्पेस टेक्नोलॉजी आदि—जो देश को वैश्विक कनेक्टिविटी केंद्र के रूप में स्थापित करेंगे।
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सम्मेलन वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी, और क्षेत्रीय कूटनीति के नए अध्याय खोल सकता है।