Quit your job, have kids: ''नौकरी छोड़ो, शादी करो और बच्चे पैदा करो''- सरकार ने शुरू की छुट्टियों की बारिश
punjabkesari.in Wednesday, Jun 11, 2025 - 01:07 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कभी दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश आज जनसंख्या घटने के डर से परेशान है। चीन, जो दशकों तक जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों का पालन करता रहा, अब उल्टा रुख अपना रहा है। अब वहां की सरकार खुद अपने युवाओं से अपील कर रही है—“काम छोड़ो, शादी करो और बच्चे पैदा करो”। यही नहीं, सरकार अब युवाओं को शादी और पारिवारिक जीवन को बढ़ावा देने के लिए दिलचस्प रियायतें और लंबी छुट्टियां दे रही है, जो पहले कभी नहीं देखी गईं।
क्यों बढ़ी सरकार की चिंता?
चीन में शादी करने वाले जोड़ों की संख्या तेजी से घट रही है। 2025 की पहली तिमाही में केवल 1.81 मिलियन जोड़ों ने विवाह रजिस्ट्रेशन करवाया, जो पिछले साल की तुलना में 8% कम है। यह गिरावट 1980 के बाद का सबसे निचला स्तर है। इस गिरती विवाह दर के साथ जन्म दर में भी लगातार गिरावट देखी जा रही है, जिससे चीन के भविष्य की आबादी को लेकर सरकार की चिंता और गहराती जा रही है।
शादी की छुट्टियों में बड़ा बदलाव
देश के कई हिस्सों में शादी करने वालों को अब पहले से कहीं ज्यादा छुट्टियां दी जा रही हैं:
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सिचुआन प्रांत: शादी की छुट्टी अब 3 दिन से बढ़ाकर 20 दिन, और अगर शादी से पहले मेडिकल चेकअप कराते हैं तो 5 दिन और – यानी कुल 25 दिन की पेड लीव।
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शेडोंग प्रांत: छुट्टी बढ़ाकर 18 दिन।
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शांक्सी और गांसू जैसे प्रांतों में छुट्टी सीधे 30 दिन तक।
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यह सभी छुट्टियां पूरी सैलरी के साथ दी जा रही हैं।
सरकार ने यह प्रस्ताव अभी जून तक के लिए आम जनता की राय के लिए खोला है।
शादी के प्रति बदल रहा युवाओं का नजरिया
आज के युवा पहले की तरह जल्दी शादी नहीं करना चाहते। कई लोगों के लिए करियर, निजी स्वतंत्रता और आर्थिक स्थिरता पहले आती है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जब तक युवा पेरेंटहुड के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होते, तब तक वे शादी से भी दूर रहते हैं। इसके चलते देश में जन्म दर बुरी तरह गिर रही है।
सरकार के नए कदम
चीन सरकार अब इस सोच को बदलने के लिए:
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शादी रजिस्ट्रेशन को आसान बना रही है – अब किसी भी शहर में शादी की जा सकती है, हुकौ की जरूरत नहीं।
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पितृत्व और मातृत्व अवकाश को भी बढ़ाया जा रहा है।
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कंपनियों को प्रोत्साहन देने की योजना बनाई जा रही है, ताकि वे कर्मचारियों को बिना हिचक छुट्टियां दे सकें।
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इन स्कीम्स को ज़मीनी हकीकत बनाने के लिए आर्थिक समर्थन भी जरूरी होगा, वरना ये सिर्फ कागज़ी योजनाएं बनकर रह जाएंगी।