अमेरिका में लाइव रिपोर्टिंग करते समय पुलिसकर्मी ने पत्रकार को मारी गोली, सामने आया वीडियो
punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 08:47 PM (IST)

नेशनल डेस्क : अमेरिका के लॉस एंजेल्स शहर में हाल ही में बड़ी हिंसक घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं के बीच एक विदेशी महिला पत्रकार को गोली लगने का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि महिला रिपोर्टर लाइव रिपोर्टिंग कर रही थी, तभी पीछे खड़े एक पुलिस अधिकारी ने उनकी टांग में गोली मार दी।
इस महिला रिपोर्टर का नाम लॉरेन टोमासी है और वह ऑस्ट्रेलिया की हैं। बताया जा रहा है कि वह लॉस एंजेल्स में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग कर रही थीं। रिपोर्टर का कहना है कि पुलिस अधिकारी ने जानबूझकर उन्हें निशाना बनाया।
डिपोर्टेशन रेड के बाद शुरू हुआ प्रदर्शन
यह हिंसा अमेरिका में हाल ही में हुए एक बड़े डिपोर्टेशन अभियान के बाद शुरू हुई। ट्रंप प्रशासन ने कुछ इलाकों में छापे मारे, जहां से कई लोगों को गिरफ्तार किया गया, क्योंकि वे अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे। इस अभियान के खिलाफ स्थानीय लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए। ये विरोध प्रदर्शन हिंसक रूप भी ले गए।
In LA, riot police shot an Australian journalist with a rubber bullet, apparently without provocation, as she was reporting from the scene. pic.twitter.com/CFtP92e9kS
— Pekka Kallioniemi (@P_Kallioniemi) June 9, 2025
रबर की गोली से घायल हुई रिपोर्टर
लॉरेन टोमासी जब हिंसक विरोध प्रदर्शन की लाइव रिपोर्टिंग कर रही थीं, तभी पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए रबर की गोलियां चलाईं। इसी दौरान एक पुलिस अधिकारी ने उनकी टांग में रबर की गोली मारी, जिससे वे घायल हो गईं। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुलिस अधिकारी ने अपनी राइफल उठाकर सीधे टोमासी पर गोली चलाई। घायल रिपोर्टर ने बताया कि वे घंटों से स्थिति को कवर कर रही थीं। अचानक पुलिस ने घोड़े पर सवार होकर प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई शुरू की और इसी बीच वह घायल हो गईं।
गोली लगने के बाद की तस्वीरें और आवाजें
वीडियो में गोली चलने के साथ ही टोमासी की चीख सुनाई देती है। इसके बाद कई लोग कहते हैं कि पुलिस ने रिपोर्टर को गोली मारी है। वहीं, रिपोर्टर की चोटें गंभीर नहीं आई हैं और उनकी हालत भी स्थिर बताई जा रही है।
यह घटना अमेरिका में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच बढ़ती टकराव को दर्शाती है। साथ ही यह पत्रकारों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाती है, खासकर जब वे संवेदनशील और हिंसक घटनाओं की रिपोर्टिंग कर रहे होते हैं।