पाक में विवादित मिलिट्री कोर्ट्स को लेकर बिल पास

punjabkesari.in Wednesday, Mar 22, 2017 - 11:56 AM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान नैशनल असैंबली (PNA)  ने 2 साल पहले आतंकवाद से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए शुरू किए गए विवादित मिलिट्री कोर्ट्स को जारी रखने के पक्ष में मतदान किया है। सैन्य अदालतों को फिर से शुरू करने से संबंधित 28वें संवैधानिक संशोधन बिल के पक्ष में जहां 255 वोट पड़े, वहीं इसके खिलाफ केवल 4 वोट ही डले। इस बिल को पाकिस्तान के कानून एवं न्याय मंत्री जस्टिस जाहिद हामिद ने मंगलवार को असैंबली में पेश किया। बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा, 'अभी देश में कुछ ऐसी खास तरह की परिस्थितियां बनी हुई हैं जहां कुछ खास तरह के अपराधों पर जल्द से जल्द सुनवाई के लिए हमें कुछ विशेष तरीके अपनाने होंगे।' 

 28वें संवैधानिक संशोधन बिल को अब संसद के सामने पेश किया जाएगा। कानून बनने के लिए जरूरी है कि इसके पक्ष में दो तिहाई वोट डलें। अगर यह बिल पास हो जाता है, तो अगले 2 साल के लिए एक बार फिर सैन्य अदालतें काम करना शुरू कर देंगी। 7 जनवरी 2017 को मिलिट्री कोर्ट्स को अपना कार्यकाल खत्म होने के कारण काम बंद करना पड़ा था। मंगलवार को जब नैशनल असेंबली में यह बिल पेश हुआ, उस समय प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी वहां मौजूद थे।  2015 में शुरू की गईं इन सैन्य अदालतों को लेकर पाकिस्तान में काफी विवाद है। इन्हें मिले विवादित विशेषाधिकारों के कारण ये अदालतें ऐसे आम लोगों पर भी मामला चला सकती हैं, जिनपर आतंकवाद से जुड़े होने का शक होता है। ये कोर्ट्स दोषियों और आरोपियों को बुनियादी न्यायिक अधिकार नहीं देते।

इनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी है और जिन लोगों को ये अदालतें दोषी ठहरा देती हैं, उन्हें किसी अन्य अदालत में अपील का भी अधिकार नहीं होता। इन्हीं आधारों पर मिलिट्री कोर्ट्स की काफी आलोचना होती है। सरकार की आलोचना करते हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-जिया MNA इजाज़ुल हक़ ने कहा कि अगर नैशनल एक्शन प्लान को सही तरीके से लागू किया गया होता, तो मिलिट्री कोर्ट्स को फिर से शुरू किए जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। जनवरी 2015 में पाकिस्तान ने 2 साल के लिए सैन्य अदालतों को शुरू किया था। इन अदालतों में संदिग्ध आतंकवादियों से जुड़े मामलों की सुनवाई होती है। दिसंबर 2014 में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में हुए आतंकवादी हमले के बाद ही मिलिट्री कोर्ट्स को शुरू किया गया था। इस हमले में 144 लोग मारे गए थे। मरने वालों में ज्यादातर बच्चे थे। तालिबानी आतंकवादियों ने इस घटना को अंजाम दिया था। इन मिलिट्री अदालतों को दो साल के लिए संवैधानिक मान्यता दी गइ थी, जो कि जनवरी में खत्म हो गई।


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