नहीं रहा तानाशाह एंटोनियो,  28 हजार अमरीकी सैनिकों ने किया था कभी तलाश  !

punjabkesari.in Tuesday, May 30, 2017 - 03:42 PM (IST)

वॉशिंगटनः सोमवार रात मध्य अमरीकी देश से एक पूर्व तानाशाह मैनुअल एंटोनियो नोरिगा के निधन की खबर है। इतिहास की किताबों में भले ही उनका नाम न दर्ज हो, लेकिन मौत के बाद उनके किस्से जरूर ताजा हो गए। मध्य अमरीकी देश पनामा का वह तानाशाह, जिसे ‘डी फैक्टो लीडर’ (बगैर औपचारिक एेलान के किसी स्वीकार किया गया नेता) का तमगा मिला है ने अमरीकी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजैंसी (CIA) के लिए जासूसी की। वह साल 1983 में सेना अध्यक्ष रहा। फिर ड्रग तस्करी और बर्बर शासनकाल के लिए बदनामी झेली। देश में हुए अमेरिकी हमले के दौरान उन्हें सेना से बेदखल कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने पनामा कैनाल की जेल में सजा काटी और अंततः  सभी को अलविदा कह दिया।

83 साल की उम्र में यहां सोमवार को सैंटो टोमास अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। सरकार के कम्यूनिकेशन सेक्रेट्री मैनुअल डोमनिग्वेज़ ने सोमवार रात इसकी जानकारी दी। मंगलवार सुबह पनामा के राष्ट्रपति जुआन कार्लोस वरेला ने भी इस बारे में ट्वीट किया। ईलाज के लिए बीते 28 फरवरी को उन्हें अस्थाई तौर पर जेल से छुट्टी मिली थी। दरअसल, कई सालों से वह बीमार थे। मार्च से ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी चल रही थी। एंटोनियो की नाजुक हालत होने से परिवार ने सरकार से उनकी बची हुई सजा हाउस अरेस्ट (घर में कैद रहकर सजा काटने) के रूप में मांगी थी। हालांकि, यह मांग ठुकरा दी गई थी। कहा गया कि ब्रेन ट्यूमर से उबरने के बाद उसे वापस जेल में ही रहना पड़ेगा।

एंटोनियो ड्रग्स तस्करी और बर्बर हत्याओं में सजा काटने से पहले वह पनामा नेशनल गार्ड यानी पनामा की पब्लिक फोर्सेज़ में मुखिया थे, जहां 1989 के अमरीकी हमले के दौरान उन्हें बेदखल कर दिया गया था। एंटोनियो सुर्खियों में तब आए, जब अमरीका ने उन्हें घर-घर तलाशने के लिए 28 हजार सैनिकों का दस्ता भेजा था। 2015 में उन्होंने अपनी जीवन भर की गलतियों के लिए माफी भी मांगी थी।  दिसंबर 1989 में अमरीकी सेना के हमले के दौरान उसकी भ्रष्ट सरकार को गिरा दिया। साल 1990 में उसने सरेंडर किया। तब उस पर ड्रग तस्करी और मनी लॉन्डरिंग के आरोप थे।

वह पाब्लो एस्कोबार सरीखे ड्रग तस्करों संग काम करता था। 2010 में उनको फ्रांस भेजा गया, जहां उस पर दोबारा मनी लॉन्डरिंग के आरोप लगे। इसी साल उसे पनामा को सौंप दिया गया। यहां उन पर 1985 के एक राजनीति दुश्मन और 1989 में मिलिट्री अधिकारी के कत्ल के लिए जेल भेज दिया गया था। तानाशाह बनने से पहले लोगों का अपहरण करने के उस पर कई मामले लंबित हैं।


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