अमेरिका में चरमपंथी पोस्टों की जांच शुरू, खौफ में 10 लाख पाकिस्तानी, वीजा रद्द होने का सता रहा डर

punjabkesari.in Saturday, Aug 23, 2025 - 04:22 PM (IST)

New York: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन द्वारा सोशल मीडिया पर अमेरिकी-विरोधी या चरमपंथी पोस्ट की जांच शुरू किए जाने के कारण पाकिस्तानी छात्रों और अन्य वीजा धारकों में अनिश्चितता का माहौल है। मीडिया में शनिवार को आई एक खबर से यह जानकारी मिली। ‘डॉन' अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक, इस व्यापक जांच प्रक्रिया के तहत अधिकारी अमेरिकी नागरिकों, संस्कृति, सरकार या संस्थानों के प्रति किसी भी प्रकार की शत्रुता के संकेत के लिए सोशल मीडिया गतिविधि की समीक्षा में जुटे हैं। खबर में बताया गया कि नियमों का उल्लंघन, राजनीतिक गतिविधि या अधूरे दस्तावेज भी उनके (पाकिस्तानी नागरिकों के) प्रवास को खतरे में डाल सकते हैं।

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खबर के मुताबिक, यातायात उल्लंघन और परिसर में विरोध प्रदर्शनों की घटनाओं की सूचना अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) को दी जा सकती है, जिससे पाकिस्तानी समुदाय में चिंता बढ़ रही है। खबर में बताया गया कि उत्तरी वर्जीनिया में यातायात मामलों से जुड़ी एक अदालत के न्यायाधीश ने हाल में दो पाकिस्तानी विद्यार्थियों को सूचित किया कि अब अदालतों को यातायात उल्लंघनों के रिकॉर्ड डीएचएस के साथ साझा करने होंगे। मैरीलैंड में बाल्टीमोर के एक छात्र यूनुस खान ने कहा, “हम शिकागो जाने की योजना बना रहे थे लेकिन हमें ऐसा न करने की सलाह दी गई। हम वीजा पर आए हैं और एक छोटी सी गलती भी वीजा रद्द होने का कारण बन सकती है।” खबर के मुताबिक, पाकिस्तानी दूतावास स्थिति पर नजर रख रहा है और राजनीतिक गतिविधियों में सावधानी बरतने की सलाह दे रहा है। फलस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में भाग लेने से पाकिस्तानी छात्र चिंतित हैं।

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बाल्टीमोर में रहने वाली समीना अली ने कहा, “हममें से कुछ लोग उन प्रदर्शनों में शामिल हुए थे और अब हमें नहीं पता कि हम रुक पाएंगे या फिर हमें निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है।” जॉर्ज मेसन विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद साजिद ने कहा कि अंशकालिक नौकरी करना मुश्किल हो गया है। राजनीतिक शरण पाने वाले पाकिस्तानियों को और भी ज्यादा चिंताएं हैं। वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास के अनुसार, 7,00,000 से 10 लाख पाकिस्तानी अमेरिका में रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर नागरिक हैं या फिर लंबे अरसे से देश में रह हैं। दूतावास ने बताया कि चूंकि कई लोग आधिकारिक तौर पर पंजीकृत नहीं हैं, इसलिए सटीक संख्या स्पष्ट नहीं है।


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Content Writer

Tanuja

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