कब्रिस्तान में 5 साल की बच्ची से रेप करता पकड़ा गया नाबलिग लड़का, Video देख खौल उठेगा खून
punjabkesari.in Wednesday, Dec 13, 2023 - 12:22 PM (IST)
पेशावरः पाकिस्तान में अपहरण और रेप का मामला सामने आया है। पाक के सिंध में एक नाबालिग लड़का मासूम बच्ची का अपहरण कर कब्रिस्तान में ले गया उसके साथ बलात्कार की कोशिश की। इस दौरान गांव के कुछ लड़कों ने कब्रिस्तान में बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो जाकर लड़के तो ढूंढ लिया और लड़की को उससे बचाया। आरोपी लड़के का नाम अब्दुल है जिसकी उम्र 14-15 साल के करीब बताई जा रही है।
In #Pakistan, this demon kidnapped the little girl and took her to the graveyard to RAPE HER. Two people found him and saved the girl from him. He deserves more than that!
— Zahack Tanvir - ضحاك تنوير (@zahacktanvir) December 12, 2023
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अब्दुल ने अपने घर के पास की सड़क पर खेल रही करीब 5 साल की लड़की का अपहरण कर लिया और उसे फुसला कर कब्रिस्तान में ले गया। सौभाग्य से कुछ ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और लड़की को बचा लिया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें देख जा सकता है कि मासूम बच्ची बुरी तरह डरी हुई है और रो-रोक कर अब्दुल की करतूत के बारे में बता रही है कि उसने उसके साथ क्या किया। ग्रामीण युवकों के मारने पर आरोपी लड़का अपनी गलती मानते और माफी मांगते हुए दिख रहा है। सहमी हुई बच्ची ने पूछने पर बताया कि वह इस युवक को नहीं जानती औऱ उसे छोड़ देने की गुहार लगा रही है।
बता दें कि पाकिस्तान में महिलाओं व बच्चियों की स्थिति बेहद खराब है। पाकिस्तान में रेप के आरोपियों में सबसे ज्यादा पड़ोसी अथवा करीबी रिश्तेदार शामिल रहते हैं। पाकिस्तान में बलात्कार के अपराधियों में 82 फीसदी पीड़ित के परिवार से हैं। रेप करने वालों में पीड़ितों के पड़ोसी पिता, भाई, दादा, चाचा, नाना, मामा और फूफा शामिल रहते हैं।अक्टूबर 2022 में आए एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर 2 घंटे में एक रेप होता है। इसके अलावा पाकिस्तान में ऑनर किलिंग के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं।
सर्वे में कहा गया कि आंकड़ों के मुताबिक 2017 से 2021 तक देश में 21,900 महिलाओं के साथ रेप होने की सूचना मिली थी। इसका मतलब यह है कि देश भर में 12 महिलाओं का हर रोज या हर दो घंटे में एक महिला के साथ बलात्कार हुआ था। सर्वे के मुताबिक ये आंकड़ा बेहद कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि सामाजिक कलंक और हिंसा के डर से ज्यादातर मामलों को दर्ज ही नहीं कराया जाता है।