पाक में तबलीगियों ने धर्मांतरण इंकार पर किया लड़के का अपहरण, ह‍िंदू बोले-'मरना पसंद, इस्लाम मंजूर नह

punjabkesari.in Monday, May 18, 2020 - 11:07 AM (IST)

पेशावरः पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर धार्मिक उत्पीड़न के मामले लगातार बढ़ने के बाद हिंदुओं ने इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है। सिंध प्रांत में धार्मिक उत्पीड़न का मामला सामने आया है। यहां इस्लामिक समूह तबलीगी जमात द्वारा इस्लाम अपनाने से इंकार करने पर एक हिंदू लड़के का अपहरण करने पर यह मुद्दा अब और भड़क गया है । सिंध प्रांत में हिंदुओं ने आरोप लगाया है कि इस्लामिक समूह तबलीगी जमात ने उन्हें प्रताड़ित किया और उनके घरों को ध्वस्त कर दिया। इसके साथ ही इस्लाम अपनाने से इंकार करने पर एक हिंदू लड़के का अपहरण भी कर लिया गया।

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सिंध का एक वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया गया, जिसमें भेल हिंदू जबरन धर्म परिवर्तन का विरोध करते हुए देखे जा सकते हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि तबलीगी जमात के खिलाफ हाथ से लिखे पोस्टर पकड़े महिलाएं, बच्चे नासूरपुर, मटियार में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन हिंदुओं का कहना था, ‘हम मरना पसंद करेंगे, लेकिन कभी इस्लाम नहीं अपनाएंगे।’ प्रदर्शनकारियों की ओर से एक महिला ने कहा कि उनकी संपत्तियों को हड़प लिया गया, घरों में तोड़फोड़ की गई और उन्हें पीटा गया है। महिला ने कहा कि उन्हें कहा जा रहा है कि अगर घर वापस चाहिए तो इस्लाम अपनाना होगा।

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एक अन्य वीडियो में एक महिला जमीन पर लेटी हुई दिखाई दे रही है, जो बता रही है कि उसके बेटे का तबलीगी जमात के सदस्यों द्वारा अपहरण कर लिया गया है। महिला अपने बेटे को रिहा कराने के लिए जमात से रहम की भीख मांग रही है। पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों में हिंदुओं और ईसाइयों का उत्पीड़न जारी है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने हाल ही में कहा कि इमरान खान सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समुदायों पर भयावह धार्मिक रूप से प्रेरित हमले हुए हैं। बता दें कि सिंध और पंजाब में हिंदू व ईसाई दोनों समुदायों को पिछले साल भी बड़े स्तर पर जबरन धर्मांतरण का सामना करना पड़ा था।

 

पंजाब और सिंध में 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों का अपहरण किया गया, उन्हें जबरन धर्मांतरित कर उनका निकाह कर दिया गया। खासकर हिंदू समुदाय को लंबे समय से निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें स्कूल में इस्लामी अध्ययन सीखने के लिए भी मजबूर किया जाता है। ईसाई समुदाय के लिए पर्याप्त दफन करने की जगह और हिंदू समाज के लिए श्मशान भूमि नहीं हैं।’


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Tanuja

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