‘दिवालिया’ हो चुका पाकिस्तान, इमरान सरकार ने किया देश का बेड़ागर्क !

punjabkesari.in Monday, Jan 03, 2022 - 11:14 AM (IST)

पेशावरः आर्थिक मंदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार पर है। पाकिस्तान की खस्ता हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इमरान सरकार को कर्ज चुकाने के लिए भी  बार-बार ऋण लेना पड़ रहा है। देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा चुकी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार   ​चीन और खाड़ी देशों के कर्ज में फंसे पाकिस्‍तान की हकीकत अब सामने आने लगी है। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार की  दुनिया भर में किरकिरी हो रही है। दरअसल, इमरान  सरकार देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। आर्थिक मंदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे पाकिस्तान की करंसी  यानि पाकिस्तानी रुपया दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक बन गया है।

 

इस साल की शुरुआत से इसमें 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। मई मध्य में इसके मूल्य में 17 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी जब एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 152.50 रुपए हो गई थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के  कार्यकाल के दौरान हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पाकिस्तान के पास चीन के कर्ज को चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। पाकिस्तान ने चीन के अलावा, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी भारी मात्रा में कर्ज लिया हुआ है। पाकिस्तान पर घरेलू और विदेशी कर्ज 50 हजार अरब रुपए से भी ज्यादा हो चुका है। 


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गत दिवस हुई एक बैठक में पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी और सुन्नी कट्टरपंथी दल जमिअत उलेमा-ए-इस्लाम(JUI-F) के  प्रमुख  मौलाना फजलुर रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान को  मिनी बजट के मुद्दे पर जमकर कोसा है । विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक एलायंस (PDM) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान  सरकार पर गंभीर आरोप लगाए व  मिनी बजट पेश करने और स्टे बैंक ऑफ पाकिस्तान को एक स्वायत्त निकाय बनाने के लिए कड़ी आलोचना की। उन्होंने चेतावनी दी कि SBP को  IMF को सौंपने से ओटोमन साम्राज्य की तरह पाकिस्तान का पतन हो सकता है।


इससे एक सप्ताह पहले पाकिस्तान के संघीय राजस्व बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शब्बर जैदी ने कहा कि उनका देश ‘दिवालिया’ हो चुका है और ‘भ्रम में रहने’ से बेहतर है कि वास्तविकता को पहचाना जाए। जैदी 10 मई 2019 से छह जनवरी 2020 तक शीर्ष कर प्राधिकरण के अध्यक्ष थे। उन्‍होंने चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रॉजेक्‍ट चाइना पाकिस्‍तान इकनॉमिक कॉरिडोर पर भी गंभीर सवाल उठाए। जैदी ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC ) परियोजना में पारदर्शिता की वकालत करते हुए कहा था कि वह खुद अभी तक पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं कि CPEC क्या है।

 

चीन का कर्ज पहले से ही गर्त में डूबी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को और दबा रहा है। इस वित्तीय वर्ष के आखिरी में पाकिस्तान के ऊपर कुल विदेशी कर्ज 14 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा। इसमें लगभग आधा कर्ज चीन के वाणिज्यिक बैंकों का है। पाकिस्तान ने इन बैंकों से मुख्य रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से संबंधित परियोजनाओं के लिए कर्ज लिया हुआ है। विश्व बैंक की ऋण रिपोर्ट 2021 में पाकिस्तान को भारत और बांग्लादेश के मुकाबले काफी खराब रेटिंग की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान कर्ज के मामले में अब श्रीलंका के बराबर जाता दिखाई दे रहा है। इस रिपोर्ट में दक्षिण एशियाई देशों के कर्जों का विश्लेषण किया गया था। चीन ने श्रीलंका को भी अपने कर्ज के जाल में फांसकर हंबनटोटा पोर्ट पर अपना कब्जा जमा लिया है। इतना ही नहीं, श्रीलंका की विदेश नीति पर भी अब चीन का प्रभाव देखने को मिल रहा है।


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Content Writer

Tanuja

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