PAK आतंकी ने खोले राज- जेहाद के लिए आतंकियों की भर्ती करते है हाफिज और लखवी

punjabkesari.in Tuesday, May 29, 2018 - 12:21 PM (IST)

श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में 20 मार्च को सेना के एक ऑप्रेशन के दौरान पकड़े गए आतंकी जैबुल्लाह ने पूछताछ में जमात-उद-दावा के बारे में कई अहम जानकारियां दी हैं। जैबुल्लाह ने बताया कि किस प्रकार हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी जैसे आतंकियों के सरगना युवाओं की भर्ती करते हैं और कई चरणों में उन्हें भारत के खिलाफ जेहाद (लड़ाई) के लिए तैयार करते हैं।

जैबुल्लाह ने बताया कि नए लड़ाकों को लगभग 2 साल तक ट्रेनिंग दी जाती है। इन लोगों को खैबर पख्तूनख्वा के जंगलों, मुजफ्फ राबाद और मुरीदके के रिजनल सैंटर सहित 7 जगहों पर ट्रेनिंग मिलती है। इसी साल मार्च के महीने में जैबुल्लाह अपने 5 अन्य साथियों के साथ भारतीय सीमा में हमले की प्लानिंग के तहत आया था। उसके बाकी साथियों को एनकाऊंटर में मार गिराया गया और उसे जिंदा पकड़ लिया गया। इस हमले में 2 पुलिस वाले भी शहीद हो गए थे।

खुलेआम होती है भर्ती 
राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) द्वारा की जा रही पूछताछ में जैबुल्लाह ने बताया कि यहां एक खुला निमंत्रण होता है। जमात के नेता 15 से 20 साल के पाकिस्तानी युवाओं को जेहाद का हिस्सा बनने और अपना बलिदान देने के लिए बुलाते हैं। उनका नाम, पता और फोन नंबर ले लिया जाता है। 7 स्तर के वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर हाफिज सईद खुद है, लेकिन वहां उसका नाम आमिर साहब या आमिर-ए-मसगर है। हाफिज के नीचे जोनल, डिस्ट्रिक्ट, तहसील, टाऊन और सैक्टर लैवल पर भर्ती करने वाले मौजूद हैं। इसमें ट्रेङ्क्षनग देने वालों को मसूल और सबसे निचले लैवल वालों को काकरून कहा जाता है।
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लश्कर ने बनाया है खुद का मोबाइल 
जैबुल्लाह ने बताया कि भर्ती हुए युवाओं को मुजफ्फराबाद के कराची फू ड सैंटर भेजा गया और वहां से राशन लाने को कहा गया। यहां पर इनको बर्फीले इलाकों में कैसे रहना है, की ट्रेनिंग दी जाती है। वहीं लश्कर के स्टूडैंट विंग अल मोहम्मदिया के स्टूडैंट्स ने एक ऐसा मोबाइल बनाया है, जिसमें एक चिप डालकर वे आपस में बातचीत करते हैं। अगर सुरक्षा बल इस फोन को इंटरसैप्ट करते हैं तो कनैक्शन अपने आप कट जाता है। 

पता चली 6 ट्रेनिंग कैंप्स की लोकेशन 
जैबुल्लाह के मुताबिक नए लड़ाकों के लिए मसूल मदरसों के बच्चों को चुनते हैं और उन्हें लाहौर के मुरीदके स्थित सैंटर लाते हैं। जैबुल्लाह को उसके पिता ही ले गए थे, जोकि मुल्तान में एक मसूल के रूप में काम कर रहे थे। उसने 6 ट्रेनिंग लोकेशंस के बारे में जानकारी शेयर की और बताया कि इन सैंटर्स को मसकर कहा जाता है। 
ये सैंटर्स हैं मनशेरा, डैकेन, अंबोरे, अक्सा, खैबर और मुरीदके। जैबुल्लाह ने यह भी बताया कि हर सैंटर में पाकिस्तानी आर्मी और आई.एस.आई. के लोग मदद के लिए मौजूद रहते हैं। 


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Isha

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