पाकिस्तान में तालिबान की जीत का जश्न, आंतकियों ने गोलियां चलाते निकाली विजय रैली

punjabkesari.in Tuesday, Aug 24, 2021 - 04:47 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में तालिबान की जीत से पाकिस्तान स्थित विभिन्न धार्मिक संगठनों के मौलाना बेहद खुश हैं।  रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के समर्थन में पाकिस्तान के कई इलाकों में जश्न मनाया जा रहा है।  पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में तालिबान के समर्थन में एक रैली का आयोजन किया गया जिसका वीडियो भी अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।   वीडियो में पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के कैडरों को रैली में भाग लेते और हवा में जश्न में गोलियां चलाते हुए देखा जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, रैली के बाद बाद दोनों संगठनों के नेताओं ने रैलियों को संबोधित किया।

 

पाकिस्तानी मौलाना तालिबान की जीत से खुश
इसके साथ ही इमरान खान सरकार के लिए और शर्मिंदगी की बात ये भी है कि कई पाकिस्तानी पत्रकारों ने दावा किया है कि तालिबान नेता मुल्ला बरादर और ISI प्रमुख फैज हमीद ने एक साथ नमाज पढ़ी  । तालिबान के हक में पाक मुल्लाओं की बयानबाजी बढ़ रही है जो पाकिस्तान और पूरे क्षेत्र के हितों के लिए हानिकारक हो सकती है।  जमीयत-ए-उलेमा-ए-इस्लाम (S) और दीफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल के प्रमुख मौलाना हमीद-उल-हक हक्कानी ने तालिबान की जीत को मौलाना सामी-उल-हक की विचारधारा और उनके विचारों की जीत करार दिया और घोषणा की कि अगले शुक्रवार 27 अगस्त को वे 'यूम-ए-तशक्कुर' मनाएंगे जो तालिबान की जीत के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा होगा। मौलाना हामिद ने कहा कि दुनिया को अपनी तथाकथित लोकतांत्रिक व्यवस्था को अफगानिस्तान पर नहीं थोपना चाहिए, क्योंकि तालिबान ने पिछले 20 वर्षों में बहुत कुछ सीखा है।

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मौलाना हामिद ने आंतकियों के हक में की ये मांग
मौलाना हामिद ने मांग की कि दुनिया को तुरंत तालिबान की सरकार को स्वीकार करना चाहिए और राजनयिक संबंधों को पुनर्जीवित करना चाहिए। मौलाना हामिद JUI के शूरा के एक सत्र के बाद लाहौर प्रेस क्लब में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। मौलाना हामिद के इस बयान के बाद आतंकवादी समूहों का समर्थन न  करने के पाकिस्तानी दावों की एक बार फिर हवा निकल गई है। तालिबान या आंतकियों को समर्थन न देने की दुहाई देने वाले पाकिस्तान के मदरसों पर पर 3 दिन पहले तालिबानी झंडे लहराए गये थे और मदरसे की छात्राओं ने तालिबान के समर्थन में गीत गाए थे। यही नहीं अफगानिस्तान के इस आतंकी संगठन के समर्थन में पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने रैली निकाली है। हैरानी की बात  ये है कि इस रैली का कहीं विरोध नहीं किया गया।

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तालिबान का कब्जा भारत के लिए खतरे की घंटी
तालिबान के अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा होने के बाद पूरी दुनिया के कट्टरपंथी संगठन काफी ज्यादा उत्साहित नजर आ रहे हैं। आशंका जताई जा रही है अफगानिस्तान से निकलकर आतंकी भारत की तरफ बढ़ सकते हैं, वहीं अफ्रीकी देशों में भी आतंकी वारदातों में इजाफा होने की आशंका जताई गई है। खासकर PoK में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों द्वारा रैली निकालने की घटना को भारत नजरअंदाज नहीं कर सकता है, क्योंकि ये आतंकी कश्मीर के जरिए भारत में दाखिल होकर अशांति फैला सकते हैं।

 

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अमेरिकी सांसद की लताड़-पाकिस्तान करे शर्म
रिपब्लिकन सांसद स्टीव चाबोट ने कहा कि इस्लामाबाद को उस संगठन की जीत का जश्न मनाते देखना बेहद घृणित करने वाला है, जो अफगानिस्तान के लोगों के लिए अनकही क्रूरता लाएगा। 'इंडिया कॉकस' के सह-अध्यक्ष चाबोट ने 'हिंदू पॉलिटिकल एक्शन कमेटी' के रविवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम में भारत के अफगानिस्तान के उन धार्मिक अल्पसंख्यकों का स्वागत करने के कदम की सराहना की, जिनके पास तालिबान के शासन से डरने के उचित कारण हैं। अमेरिका सांसद ने आगे कहा कि, इससे  विपरीत हम सभी को पता है कि पाकिस्तान और खासकर उसकी गुप्तचर एंजेंसी ISI ने तालिबान के पैर पसारने और देश पर कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पाकिस्तानी अधिकारियों को उस संगठन की जीत का जश्न मनाते देखना बेहद घृणित करने वाला है, जो अफगानिस्तान के लोगों के लिए अनकही क्रूरता लेकर लाएगा।

 

 


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Content Writer

Tanuja

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