भारत की सुरक्षा पर नया खतरा, Operation Sindoor के बाद LeT ने बदला ठिकाना
punjabkesari.in Friday, Sep 26, 2025 - 04:22 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लोअर डिर जिले में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का नया ट्रेनिंग सेंटर “मरकज जिहाद-ए-अकसा” बनाया जा रहा है। इसे जुलाई 2025 में बनान शुरू किया था और ऐसी संभावना है कि दिसंबर तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार यह सेंटर क्षेत्रीय स्थिरता और भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकता है।
सेंटर 4,643 वर्ग फुट के प्लॉट पर बनाया जा रहा है और यह जामिया अहले सुन्नाह मस्जिद के पास स्थित है। अफगान सीमा से करीब 47 किलोमीटर दूर यह स्थान सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। निर्माण कार्य भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" के दो महीने बाद शुरू हुआ, जिसमें LeT के कई पुराने ठिकाने नष्ट कर दिए गए थे।
सूत्रों के मुताबिक नए ट्रेनिंग सेंटर में दो प्रमुख कोर्स – "दौरा-ए-खास" और "दौरा-ए-लश्कर" चलाए जाएंगे। इनका उद्देश्य भर्ती आतंकियों को हथियारों का उपयोग, हमले की रणनीति और जिहाद संबंधी ट्रेनिंग देना है। यह सेंटर LeT की पुरानी "जान-ए-फिदाई" यूनिट की जगह लेगा, जिसे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नुकसान पहुंचा था।
इस सेंटर की कमान नसर जावेद के पास होगी, जो 2006 हैदराबाद बम धमाके का सह-मास्टरमाइंड माना जाता है। धार्मिक शिक्षा की जिम्मेदारी मुहम्मद यासिन उर्फ "बिलाल भाई" को दी गई है, जबकि हथियार प्रशिक्षण का संचालन अनस उल्लाह खान करेगा, जिसने पहले गढ़ी हबीबुल्लाह कैंप में ट्रेनिंग ली थी।
रणनीतिक दृष्टि से भी यह सेंटर अहम है। LeT ने अपने पारंपरिक ठिकानों को छोड़कर अब खैबर पख्तूनख्वा की ओर रुख किया है ताकि भविष्य में भारतीय हमलों से बचा जा सके। यह नया केंद्र हिजबुल मुजाहिदीन के HM-313 कैंप से मात्र चार किलोमीटर दूर है, जिससे दोनों संगठनों के बीच सहयोग की आशंका जताई जा रही है।
सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तानी सेना की हालिया कार्रवाई—जिसमें जून 2025 में 24 से अधिक TTP लड़ाके मारे गए—ने इस क्षेत्र को LeT के लिए "सुरक्षित जगह" बना दिया है। हालांकि, इन अभियानों के दौरान 40 से अधिक नागरिकों की मौत भी हुई, जिससे पाकिस्तान की काउंटर-टेररिज्म रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की "अच्छे और बुरे आतंकवाद" की नीति क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बनी हुई है। भारत के लिए यह नया ट्रेनिंग सेंटर सुरक्षा चुनौती है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह दक्षिण एशिया की स्थिरता पर गहराई से निगरानी रखने का संकेत है।