चीनी राष्ट्रपति शी के डर से कोरोना के नए वैरिएंट का नाम पड़ा 'ओमीक्रॉन ! WHO पर फिर उठे सवाल
punjabkesari.in Sunday, Nov 28, 2021 - 10:59 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वैरिएंट को 'ओमीक्रॉन' नाम देने के साथ ही नया विवाद छिड़ गया है। नए वैरिएंट के नामकरण में ग्रीक वर्णमाला के दो लेटर्स को छोड़ने से एक बार फिर WHO पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना के नए वैरिएंट्स को ग्रीक अल्फाबेट के लेटर्स के मुताबिक नाम देता है। लेकिन इस बार WHO ने ग्रीक वर्णमाला के अल्फाबेट Nu और Xi छोड़ दिए हैं। अब तक WHO वायरस स्वरूपों को सरल भाषा में बताने के लिए वर्णमाला के क्रम (अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा आदि) का पालन कर रहा था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सूत्र ने इसकी पुष्टि भी की है कि WHO ने दोनों अक्षरों को जानबूझकर छोड़ा है। दरअसल WHO ने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग को बदनाम होने से बचाने के लिए ये अक्षर छोड़े हैं। ग्रीक वर्णमाला के क्रमानुसार अब आने वाले वैरिएंट का नाम XI रखा जाना था और चीन के राष्ट्रपति के नाम में भी XI आता है। खबरों की मानें तो शुक्रवार को हुई विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठक में फैसला लिया गया कि वायरस को 'Nu' नाम इसलिए नहीं दिया जाएगा क्योंकि लोग इसे 'न्यू' समझ सकते हैं और ऐसे में कन्फ्यूजन का जोखिम है।
इसके बाद Xi को भी छोड़ने का फैसला किया गया क्योंकि इससे एक क्षेत्र विशेष की बदनामी का डर था। महामारी की शुरुआत से ही WHO पर आरोप लगते रहे हैं कि वह चीन के दबाव में काम कर रहा है लेकिन अब उसने Xi jinping के डर से कोरोना के नामकरण में ही घोटाला कर डाला है जिसको लेकर दुनिया एक बार फिर WHO की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। शुक्रवार को WHO ने कोरोना के B.1.1.529 वैरिएंट को 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' करार दिया है।
इस वैरिएंट का सबसे पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में मिला है। हालांकि अब तक इसके मामले हांगकांग, इजरायल और बोत्स्वाना में मिल चुके हैं। WHO के मुताबिक यह वैरिएंट अत्याधिक तेजी से फैलता है। अभी तक इसके असल जोखिमों का पता लगाया जाना बाकी है। फिलहाल मौजूद सबूतों से यह पता लगता है कि इस वैरिएंट से दोबारा संक्रमण का जोखिम बढ़ता है।