नवाज ने यह फैसला कर चौंकाया, मोल ले लिया खतरा !

punjabkesari.in Tuesday, Dec 06, 2016 - 05:27 PM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने एक फैसले से देश के कट्टरपंथी मुसलमानों की भावनाओं को भड़का दिया है। नवाज शरीफ ने देश की एक बड़ी यूनिवर्सिटी का नाम अल्पसंख्यक अहमदिया समाज के वैज्ञानिक और नोबल पुरस्कार जीत चुके प्रो. अब्दस सलाम के नाम पर रखने का ऐलान किया है। फिजिक्स के वैज्ञानिक प्रो. अब्दस सलाम एक ऐसे समाज से हैं जो खुद मुसलमान होने का दावा नहीं कर सकते थे। नवाज शरीफ अपनी इस घोषणा से पाकिस्तान के बहुत से लोगों को चौंका दिया। नवाज शरीफ ने कहा कि कायदे आजम यूनिवर्सिटी के नैशनल सैंटर ऑफ फिजिक्स सैंटर का नाम बदलकर प्रोफेसर अब्दस सलाम सैंटर ऑफ फिजिक्स रखा जाएगा। 

इसके अलावा हर साल फिजिक्स के 5 शोधकर्ता को पीएचडी के विदेश भेजा जाएगा। इन लोगों को भी सलाम के नाम से ही उपाधियां दी जाएंगी। नोबल पुरस्कार जीतने के 20 साल बाद इस वैज्ञानिक को इस तरह का सम्मान दिया गया है। प्रो. अब्दस सलाम को 1979 में नोबल पुरस्कार मिला था।
पाकिस्तान के लिए परमाणु हथियार बनाने में भी इस वैज्ञानिक का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मगर पाकिस्तान सरकार ने कभी भी अहमदिया मुस्लिम समुदाय के सदस्य की सराहना करने तक की हिम्मत नहीं जुटाई। ये अल्पसंख्यक समुदाय 1889 में ब्रिटिश इंडिया में बना था। अहमदिया मुस्लिम समुदाय को एक विधर्मी समुदाय समझा जाता था। अहमदिया समुदाय के लोगों का मानना था कि उनके आंदोलन के संस्थानक मिर्जा गुलाम अहमद एक पैगंबर थे।  वहीं इस्लाम का एक केंद्रीय सिद्धांत है कि मोहम्मद 7वीं सदी के संस्थापक आखिरी पैगंबर थे। इसी धार्मिक विवाद की वजह से 1974 के संवैधानिक संशोधनों के बाद अहमदिया समुदाय को नॉन-मुस्लिम घोषित कर दिया गया।

1984 में खुद को मुस्लिम कहने पर इस समुदाय के लोगों को सजा देने का भी प्रावधान था। इसका मतलब था कि अगर अहमदिया समुदाय के लोग अपनी प्रार्थना करने वाले स्थान को मस्जिद बताएगा तो उसे जेल भेज दिया जाएगा।ये खुद को मुसलमान नहीं कह सकते थे। इसी समुदाय के वैज्ञानिक अब्दस सलाम की कब्र पर भी मुस्लिम शब्द नहीं लिखा गया। पाकिस्तानी सेना के नए चीफ पर पिछले महीने आरोप लगाए गए थे कि उनके रिश्तेदार अहमदिया समुदाय के थे। पिछले 20 साल से कयादे ए आजम के नाम को बदलने के लिए संघर्ष करने वाले परवेज हुडभॉस ने नवाज शरीफ के इस कदम की सराहना की है।

वो खुश है कि नोबल पुरस्कार प्राप्त करने के इतने सालों बाद इस वैज्ञानिक की सराहना की जा रही है।  परवेज हुडभॉस ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री परवेज मुशर्रफ और बेनेजीर भुट्टो दोनों ने कभी अहमदिया लोगों को सम्मान देने का खतरा नहीं उठाया। वहीं नवाज शरीफ ने ये घोषणा करके बहुत  बड़ा खतरा मोल ले लिया है। जनवरी में शरीफ ने सलाम को एक महान पाकिस्तानी भी बताया था। अहमदी समुदाय के डिप्टी एजुकेशन निदेशक हसन मुनीर ने कहा कि ये एक सकारात्मक कदम है। पूरे देश में इस महान वैज्ञानिक के नाम पर एक भी सड़क या यूनिवर्सिटी नहीं है। वहीं अहमदिया समुदाय का विरोध करने वाले मौलाना अल्लहा वसाई कहते हैं कि सरकार विदेशी लोगों को खुश करने की कोशिश कर रही है। अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित करने के बाद खुद डॉ. सलाम ने पाकिस्तान छोड़ दिया था। जब वो पाकिस्तानी ही नहीं थे तो उनके नाम पर किसी सैंटर का नाम कैसे रखा जा सकता है।
 


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