पाकिस्तान में गधा खरीदना हुआ नामुमकिन, आम आदमी की पहुंच से हुआ बाहर, कीमत ने तोड़े रिकॉर्ड

punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 09:41 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। पाकिस्तान के ग्रामीण और गरीब तबके के लिए गधा सिर्फ एक जानवर नहीं बल्कि आजीविका का एक प्रमुख साधन है। खेतों में काम से लेकर माल ढुलाई तक ये मेहनती पशु लाखों परिवारों की रोजी-रोटी का आधार हैं लेकिन हाल के दिनों में इन गधों की कीमतों में रिकॉर्ड तोड़ उछाल आया है। जो गधा पहले 25-30 हजार रुपये में आसानी से मिल जाता था अब उसकी कीमत दो लाख रुपये तक पहुंच गई है। इस अप्रत्याशित मूल्यवृद्धि का मुख्य कारण चीन में तेजी से बढ़ रही 'ईजियाओ'  इंडस्ट्री है जहां पारंपरिक चीनी दवाओं के निर्माण के लिए गधों की खाल की जबरदस्त मांग है।

क्या है 'ईजियाओ' और क्यों बढ़ रही गधों की मांग?

'ईजियाओ' एक खास तरह की पारंपरिक चीनी हर्बल दवा है। इसे गधे की खाल से निकाली गई जिलेटिन से बनाया जाता है। इस दवा का उपयोग रक्त संचार को बेहतर बनाने, त्वचा को निखारने और महिला प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। चीन की यह अरबों डॉलर की फार्मा इंडस्ट्री अब गधों की खाल की भारी मांग कर रही है जिसके चलते पाकिस्तान, इथियोपिया और सूडान जैसे पड़ोसी देशों से बड़े पैमाने पर गधों की खरीद की जा रही है। पिछले पांच सालों में 'ईजियाओ' से जुड़े उत्पादों की मांग में 160 फीसदी तक की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लाखों गधों की खाल की जरूरत पड़ रही है।

 

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पाकिस्तान के गरीबों पर दोहरी मार

पाकिस्तान में अनुमानित 59 लाख से अधिक कामकाजी गधे हैं जिनका उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में खेती, निर्माण कार्य और माल ढुलाई जैसे कामों में होता है। गधों की बढ़ती कीमतों ने उन गरीब परिवारों के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है जिनकी जीविका पूरी तरह से इन पशुओं पर निर्भर करती है। अब नई और बढ़ी हुई कीमतों पर गधा खरीदना उनके लिए लगभग असंभव हो गया है जिससे उनका रोजगार सीधे प्रभावित हो रहा है और जीवन यापन का संकट गहराता जा रहा है।

अप्रैल 2025 में चीन के एक प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान में गधा पालन फार्म शुरू करने में भी गहरी दिलचस्पी दिखाई थी। इसका मतलब है कि आने वाले समय में गधों की मांग और भी बढ़ सकती है जिससे पाकिस्तान के स्थानीय लोगों की मुश्किलें और भी बढ़ेंगी। यह स्थिति पाकिस्तान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक नई चुनौती बन गई है जहां एक साधारण जानवर की अंतर्राष्ट्रीय मांग ने आम लोगों के जीवन को मुश्किल में डाल दिया है।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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