बदहवास पाकिस्तान की सच्चाई उजागर, मुनीर बोले-आंतरिक और बाहरी दुश्मनों से निपटने को तैयार
punjabkesari.in Saturday, Dec 13, 2025 - 05:54 PM (IST)
International Desk: पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने शनिवार को कहा कि सुरक्षा बल बाहरी और अंतरराष्ट्रीय तत्वों से होने वाले खतरों से निपटने के लिए तैयार है। सेना की ओर से जारी एक बयान के अनुसार मुनीर ने गुजरांवाला और सियालकोट छावनी क्षेत्रों का दौरा किया, जहां उन्हें अभियानगत तैयारियों और युद्ध तैयारियों को मजबूत बनाने से जुड़ीं प्रमुख पहलों की जानकारी दी गई। इस मौके पर उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की सेना शत्रुतापूर्ण ‘हाइब्रिड' अभियान, चरमपंथी विचारधाराओं और राष्ट्रीय स्थिरता को कमजोर करने की कोशिश करने वाले विभाजनकारी तत्वों से उत्पन्न आंतरिक व बाहरी दोनों तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।”
Field Marshal Syed Asim Munir, COAS & CDF, visited Gujranwala and Sialkot Garrisons, reviewed readiness and training, and praised troops’ morale and professionalism, reaffirming the Army’s readiness to counter any enemy misadventure. pic.twitter.com/nq0yNwK4B3
— HILALIANS (@hilalians8) December 13, 2025
आसिम मुनीर का ताज़ा बयान देश की जमीनी हकीकत से ज्यादा उसकी बढ़ती बेचैनी को दर्शाता है। आंतरिक और बाहरी खतरों की बात कर उन्होंने एक बार फिर ‘हाइब्रिड वॉर’ और विभाजनकारी ताकतों का हवाला दिया, लेकिन यह साफ है कि पाकिस्तान आज जिन खतरों से जूझ रहा है, उनमें अधिकांश उसकी अपनी नीतियों की देन हैं। मुनीर ने गुजरांवाला और सियालकोट छावनियों के दौरे के दौरान कहा कि पाक सेना हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। हालांकि, सच्चाई यह है कि पाकिस्तान लंबे समय से आतंकवादी संगठनों को पनाह देने, कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने के आरोपों से घिरा रहा है।
भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के बाद 7 मई को किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ढांचे की पोल खोल दी थी। इसके बाद चार दिन तक चली सैन्य तनातनी ने यह भी दिखा दिया कि पाकिस्तान न केवल रणनीतिक रूप से कमजोर है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकने को मजबूर भी।विशेषज्ञों के अनुसार, सेना प्रमुख का यह बयान असल में देश के भीतर बढ़ते असंतोष, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विद्रोही हालात, आर्थिक तबाही और वैश्विक अलगाव से ध्यान भटकाने की कोशिश है। सैनिकों का मनोबल बढ़ाने की बातें कर सेना नेतृत्व अपनी विफल नीतियों को छिपाना चाहता है। पाकिस्तान की सेना बार-बार “राष्ट्रीय स्थिरता” की दुहाई देती है, लेकिन सच यह है कि देश की सबसे बड़ी अस्थिरता खुद सेना के राजनीतिक हस्तक्षेप, आतंक समर्थक सोच और पड़ोसी देशों के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैये से पैदा हुई है।
