मोसाद के इस ऑपरेशन से दहल गया था ईरान, जानिए कैसे परमाणु वैज्ञानिक की हत्या से कांप उठा था पूरा सिस्टम
punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 05:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क: ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चली आ रही तनातनी 2020 में उस वक्त और भड़क गई जब इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मोहसेन फखरजादे की हत्या को अंजाम दिया. यह कोई आम हत्या नहीं थी, बल्कि इतनी हाईटेक और रहस्यमयी थी कि इसे "मशीन गन वाला ऑपरेशन" कहा जाने लगा. मोहसेन फखरजादे की पहचान ईरान में भी बहुत कम लोगों को थी. उनकी सिर्फ कुछ ही तस्वीरें सार्वजनिक थीं. वे न सिर्फ एक परमाणु वैज्ञानिक थे, बल्कि ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड में ब्रिगेडियर जनरल के पद पर भी तैनात थे. यूनिवर्सिटी प्रोफेसर के तौर पर उनकी छवि सिर्फ एक 'कवर' थी ताकि उनका असली मिशन गुप्त बना रहे.
कैसे हुआ था 'रिमोट कंट्रोल गन' वाला हमला
27 नवंबर 2020 को तेहरान से 40 मील दूर फखरजादे अपनी कार में थे. तभी एक सुनसान सड़क पर खड़ी पिकअप ट्रक से उन पर गोलियों की बौछार कर दी गई. यह कोई आम हमला नहीं था. हमला रिमोट कंट्रोल वाली मशीन गन से किया गया था, जिसे सैटेलाइट से कनेक्ट किया गया था और इसमें चेहरे पहचानने वाली तकनीक (face recognition) भी लगी हुई थी.
आठ महीने तक चली प्लानिंग, 20 एजेंट्स का था नेटवर्क
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस पूरे ऑपरेशन की तैयारी 8 महीने तक की. मशीन गन को टुकड़ों में ईरान लाया गया और वहीं पर इसे जोड़ा गया. इसमें कैमरा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट लिंक जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया. ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए करीब 20 लोगों की एक गुप्त टीम को लगाया गया था.
कैसे खत्म हुए सारे सबूत?
हमले के तुरंत बाद मशीन गन स्वयं नष्ट हो गई और जिस ट्रक में वह लगी थी, उसमें ब्लास्ट कर दिया गया. इससे कोई सुराग हाथ न लगे. यह पूरी तरह सर्जिकल स्ट्राइक जैसा मिशन था, जो बिना सैनिकों को भेजे ही पूरा हो गया.
हमले के पीछे का मकसद
फखरजादे ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम के मुख्य आर्किटेक्ट माने जाते थे. इजरायल और अमेरिका को आशंका थी कि वे गुप्त रूप से परमाणु बम बना रहे हैं. ऐसे में उनका सफाया करना इजरायल के लिए रणनीतिक जीत थी.
अब क्यों फिर से चर्चा में है ये हत्या?
13 जून 2025 को जब इजरायल ने ईरान पर परमाणु केंद्रों पर हमला किया और बदले में ईरान ने मिसाइलें दागीं, तब फिर फखरजादे की हत्या की यादें ताजा हो गईं. यह साबित करता है कि दोनों देशों के बीच की दुश्मनी सिर्फ जंग नहीं, बल्कि इंटेलिजेंस और तकनीक की लड़ाई भी बन चुकी है.