इंटरनेट बंद, फोन साइलेंट! तालिबान का डिजिटल कर्फ्यू, अब अफगानिस्तान से बाहर नहीं जाएगी कोई खबर

punjabkesari.in Tuesday, Sep 30, 2025 - 08:56 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क। अफगानिस्तान में तालिबान शासन ने एक बार फिर एक कठोर फरमान जारी किया है जिसके बाद देश के लगभग 43 मिलियन (4.3 करोड़) नागरिक बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट गए हैं। नॉर्थ कोरिया की तर्ज पर चलते हुए तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान में इंटरनेट और टेलीकॉम सेवाओं को बंद करने का आदेश दिया है। ग्लोबल इंटरनेट निगरानी संस्था नेटब्लॉक्स (NetBlocks) के अनुसार इस आदेश के बाद सोमवार को देश में कनेक्टिविटी सामान्य स्तर के एक प्रतिशत से भी कम पर आ गई।

पूरे देश में कनेक्टिविटी ब्लैकआउट

यह अचानक किया गया संचार ब्लैकआउट कई हफ्तों से चल रहे छोटे प्रतिबंधों के बाद आया है जो देश के लिए एक बड़ा संकट बन गया है। इस महीने की शुरुआत में तालिबान ने कई प्रांतों में फाइबर ऑप्टिक कनेक्शन काटना शुरू कर दिया था जिससे हाई-स्पीड इंटरनेट बुरी तरह प्रभावित हुआ था।

बल्ख प्रांत के प्रवक्ता अत्ता उल्लाह जईद ने पुष्टि की कि यह कदम "बुराई रोकने के लिए" उठाया गया है और देशभर में कनेक्टिविटी की जरूरतों को पूरा करने के लिए वैकल्पिक विकल्प लागू किए जाएंगे।अधिकारी ने स्वीकार किया कि संचार का कोई और सिस्टम मौजूद नहीं है। एएफपी (AFP) ने बताया कि उसने काबुल ब्यूरो से लगभग शाम 5:45 बजे (स्थानीय समयानुसार) पूरी तरह संपर्क खो दिया।

आवश्यक सेवाओं और अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर

इस ब्लैकआउट ने अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था और जरूरी सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित किया है:

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अफगानिस्तान का 9,350 किलोमीटर लंबा फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क जो देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने की जीवनरेखा था, अब ठप हो गया है। बैंकिंग सेक्टर, कस्टम्स (सीमा शुल्क), व्यापार नेटवर्क और अन्य सभी ऑनलाइन सिस्टम पूरी तरह से ठप पड़ गए हैं।

वहीं स्थानीय मीडिया के अनुसार काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मंगलवार को कम से कम 8 उड़ानें रद्द कर दी गईं या उनके परिचालन में बाधा आई। देश भर में मोबाइल इंटरनेट और सैटेलाइट टीवी सेवाएँ भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

महिलाओं पर प्रतिबंध और नियंत्रण का बढ़ता शिकंजा

अगस्त 2021 में सत्ता पर काबिज होने के बाद से तालिबान समाज पर व्यापक पाबंदियां लगाता रहा है लेकिन यह पहली बार है जब पूरे देश में संचार पर ही रोक लगाई गई है। तालिबान ने हाल ही में यूनिवर्सिटी की शिक्षा प्रणाली से महिलाओं द्वारा लिखी गई किताबों को हटा दिया था। 12 साल की उम्र के बाद महिलाओं और लड़कियों की पढ़ाई पर रोक लगा दी गई है।

विमेन फॉर अफगान विमेन (WAW) नामक संगठन की सबेना चौधरी ने कहा कि यह ब्लैकआउट लाखों अफगानों को खामोश कर रहा है और उन्हें बाहरी दुनिया से कट रहा है। उन्होंने बताया कि न्यूयॉर्क में होने के कारण उनका अफगानिस्तान के अंदर अपने कर्मचारियों से भी संपर्क टूट गया है।


 


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Content Editor

Rohini Oberoi

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