वैबसाइटों पर फलफूल रहा अवैध हथियारों का व्यापार

punjabkesari.in Tuesday, Apr 23, 2019 - 10:59 AM (IST)

न्यूयार्क : बंदूक संस्कृति पर लगाम लगाने के प्रयासों पर छिड़ी बहस के बीच सभी का ध्यान हथियारों के नियमन की उपयुक्त व्यवस्था के निर्माण पर गया है लेकिन एक नई  चिंता भी उभरी है, जिसकी ओर वैज्ञानिकों ने एक शोध के बाद ध्यान दिलाया है।

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि विश्व भर में वैबसाइटों के जरिए भी हथियारों का अवैध व्यापार खूब फलफूल रहा है। डिविंट बिहेवियर जर्नल में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि अमरीका के साथ विश्व के कई देशों में हथियारों की खरीद-फरोख्त के लिए कई महत्वपूर्ण और सख्त नियम बनाए गए हैं, लेकिन कुछ वैबसाइटों में ऐसी कई सामग्री मौजूद हैं जो इंटरनैट के जरिए एक विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से इस गड़बड़झाले से रू-ब-रू करा सकती हैं।

अमरीका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्रो. थॉमस हॉल्ट ने कहा, ‘‘हमें वैबसाइटों के जरिए बंदूकों के व्यापार के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी मिली है। वैबसाइटों पर मौजूद ये पेज किसी ब्लैक होल से कम नहीं हैं। इन्हें आसानी से नहीं पहचाना जा सकता। यह ठीक वैसे ही है जैसे अवैध दवाओं और नशीले पदार्थों का कारोबार। हमें पता है कि लोग वैबसाइटों के जरिए इन हथियारों की खरीदारी करते हैं पर खरीद-फरोख्त कितनी मात्रा में होती है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।

थॉमस ने बताया कि हमारे लिए सबसे चौंकाने वाली बात यही है कि जिन हथियारों की खरीद-फरोख्त की जाती है उनमें अधिकांश सैन्य श्रेणी के हथियार नहीं होते। हमने साइटों पर हैंडगन भी देखी हैं, जिन्हें अमरीका में केवल लाइसैंस दिखाने के बाद ही खरीदा जा सकता है। थॉमस ने कहा कि वैबपेज के विज्ञापन में कुल प्रोडक्ट्स में से 64 प्रतिशत हैंडगन, 17 प्रतिशत सैमी-ऑटोमैटिक और 4 प्रतिशत फुली ऑटोमैटिक गन मौजूद हैं। ये वैबपेज खास तौर से उन लोगों को भी हथियार खरीदने की अनुमति देते हैं जो गैर-कानूनी रूप से इसे रखना चाहते हैं।  


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Tanuja

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