''आइसक्रीम'' बोला तो हो जाएगी सजा, इस देश के तानाशाह ने लगाया बैन; जानें वजह
punjabkesari.in Wednesday, Sep 17, 2025 - 05:37 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने हाल ही में अंग्रेजी और अन्य विदेशी शब्दों के सार्वजनिक उपयोग पर सख्त पाबंदी लगाने का निर्देश जारी किया है। इस कदम का मकसद पश्चिमी प्रभाव और दक्षिण कोरिया की भाषा‑संस्कृति के फैलाव को नियंत्रित करना बताया जा रहा है। विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां विदेशी पर्यटकों की आवाजाही है, जैसे वोनसान बीच‑साइड रिसॉर्ट, इस निर्देश को लागू किया जाना है।
क्या बदलाव किए गए हैं?
“आइसक्रीम” शब्द को अब “eseukimo” या “eoreumboseungi” जैसे स्थानीय विकल्पों से कहा जाएगा। “हैम्बर्गर” के स्थान पर “da‑jin‑gogi gyeopppang” (literal अर्थ: “दोहरा ब्रेड + ग्राउंड बीफ”) कहा जाएगा। “कराओके मशीन” को “ऑन‑स्क्रीन कम्पेनिमेंट मशीन” नाम से पुकारा जाएगा।
किन लोगों पर लागू है यह निर्देश?
विशेष रूप से टूर गाइड्स जिन्हें वोनसान इलाके जैसे पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के साथ संवाद करना होता है, को विदेशी/अंग्रेजी शब्दों का उपयोग नहीं करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये गाइड्स Workers’ Party of Korea के Cadre Department के अधीन एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हैं। अनुमान है कि इस कोर्स में लगभग 20‑30 गाइड्स शामिल हैं।
सजा और कानूनी स्थिति
खबरों में यह संकेत है कि निर्देश उल्लंघन करने वालों पर कार्य से वंचित करना या प्रशिक्षण प्रोग्राम से निकालना जैसी सजा हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि विदेशी मीडिया, टीवी शोज़ और फिल्मों के प्रसार के मामलों में कड़े कानून और कठोर सजा का प्रावधान है।
इस कदम के पीछे की मंशा
भाषा और शब्दावली के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान को मजबूत बनाना। सरकार चाहती है कि भाषा में “विदेशी प्रभाव” कम हो। दक्षिण कोरिया और पश्चिमी देशों से आने वाले भाषाई, सांस्कृतिक प्रभावों से जनता को दूर रखना, ताकि विचार नियंत्रण और संस्कृति पर स्थिर नियंत्रण संभव हो सके। पर्यटन के क्षेत्र में, जहां संवाद अंग्रेजी भाषियों के साथ ज़रूरी हो सकता है, वहां भी सरकार चाहता है कि संवाद ऐसी शब्दावली से हो जो आधिकारिक और नियंत्रित हो।