''पानी रोका तो समझो जंग'' – भारत पर गरजे बिलावल भुट्टो, दी परमाणु युद्ध की चेतावनी
punjabkesari.in Friday, Jun 06, 2025 - 01:17 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत ने हाल ही में सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को सस्पेंड कर दिया है। यह कदम 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया गया है। भारत के इस निर्णय से पाकिस्तान गंभीर रूप से नाराज़ है और इस पर राजनीतिक बयानबाज़ी तेज हो गई है।
बिलावल भुट्टो की परमाणु धमकी-
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी, जो इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं ने एक बार फिर भारत को परमाणु युद्ध की धमकी दी है। "भारत अगर पाकिस्तान के पानी की आपूर्ति रोकता है, तो यह युद्ध की कार्रवाई मानी जाएगी। जल संकट हमारी सुरक्षा और अस्तित्व से जुड़ा मामला है। कोई भी देश अपने पानी और अस्तित्व के लिए लड़ेगा।"
भारत पर पुरानी संधियों का उल्लंघन करने का आरोप-
बिलावल ने भारत पर आरोप लगाया कि वह सिंधु जल संधि का उल्लंघन कर रहा है और यह पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने अमेरिका और अन्य देशों से भारत को वार्ता की मेज पर लाने की अपील की है।
“नई संधियों से पहले पुरानी निभाओ”-
भुट्टो का कहना है कि अगर भारत के साथ आगे शांति की दिशा में बढ़ना है, तो पहले उसे पुरानी संधियों का पालन करना होगा। उनका सीधा संकेत सिंधु जल संधि को लेकर भारत के फैसले की ओर था, जिसे पाकिस्तान वापस लेने की मांग कर रहा है।
पाकिस्तान ने दिए कड़े जवाबी संकेत-
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को सस्पेंड किए जाने के बाद, पाकिस्तान ने भी प्रतिक्रिया में कई कदम उठाने की बात कही है:
- शिमला समझौते समेत अन्य द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने की चेतावनी
- अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करने की तैयारी
- भारत के साथ सभी व्यापारिक गतिविधियों को स्थगित करने की घोषणा
सिंधु जल संधि: 1960 से चली आ रही ऐतिहासिक संधि-
इस संधि को 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित किया गया था। इसमें:
- भारत को पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज)
- पाकिस्तान को पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब)
का जल उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।
वैश्विक स्तर पर चिंता-
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने से एक बार फिर दक्षिण एशिया में स्थायित्व और शांति को खतरा पैदा हो गया है। पाकिस्तान की परमाणु धमकी से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें अब दोनों देशों पर टिक गई हैं।