युद्ध के दौरान अमेरिका दुनिया भर से कैसे लाभ कमाता है?
punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 03:02 PM (IST)

नेशनल डेस्क: जब दुनिया के किसी कोने में युद्ध छिड़ता है, तब केवल गोलियों की आवाज़ नहीं गूंजती कहीं दूर अमेरिका में कुछ कंपनियों के शेयर चुपचाप आसमान छूने लगते हैं। यह इत्तेफाक नहीं है। दरअसल युद्ध, सिर्फ हथियारों का खेल नहीं है, यह एक बहुस्तरीय वैश्विक व्यापार का सुनियोजित मौका भी होता है, जिससे अमेरिका के बड़े-बड़े व्यवसाय अरबों डॉलर का फायदा उठाते हैं। इस रिपोर्ट में जानिए कैसे अमेरिका के अलग-अलग सेक्टर युद्ध की त्रासदी को मुनाफे के मौके में बदल देते हैं।
हथियार बेचने वाली कंपनियों की चांदी
दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है अमेरिका। जब किसी देश में युद्ध शुरू होता है या युद्ध की आशंका बढ़ती है, तो उस देश को आधुनिक हथियार, मिसाइल सिस्टम, ड्रोन और सुरक्षा तकनीक की जरूरत पड़ती है। इस ज़रूरत को पूरा करती हैं अमेरिका की रक्षा कंपनियां जैसे Lockheed Martin, Raytheon, Northrop Grumman और Boeing। उदाहरण - रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका ने यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार दिए। इसके साथ ही यूरोपीय देशों ने भी अमेरिकी रक्षा उपकरण खरीदे, जिससे इन कंपनियों की कमाई और शेयर कीमतें कई गुना बढ़ गईं।
तेल और गैस कंपनियों के लिए मुनाफे की लहर
युद्ध का असर सिर्फ ज़मीन पर नहीं होता, इसका असर वैश्विक ऊर्जा बाज़ार पर भी पड़ता है। जब तेल और गैस की सप्लाई प्रभावित होती है, तो कीमतें बढ़ जाती हैं। अमेरिका की बड़ी ऊर्जा कंपनियां जैसे ExxonMobil और Chevron इस मौके का फायदा उठाकर ऊंचे दाम पर तेल और गैस बेचती हैं। उदाहरण- रूस पर प्रतिबंध लगने के बाद यूरोप ने रूसी गैस का विकल्प ढूंढ़ा और अमेरिकी LNG (Liquefied Natural Gas) को अपनाया। इस बदलाव से अमेरिकी तेल कंपनियों को रिकॉर्ड मुनाफा हुआ।
युद्ध के बाद निर्माण के काम
युद्ध खत्म होते ही किसी देश को फिर से खड़ा करने की ज़रूरत होती है सड़कें, पुल, स्कूल, अस्पताल, बिजली संयंत्र। अमेरिका की निर्माण और लॉजिस्टिक्स कंपनियां इस पुनर्निर्माण में बड़ी भूमिका निभाती हैं और अरबों डॉलर के सरकारी व अंतरराष्ट्रीय ठेके हासिल करती हैं। उदाहरण- इराक युद्ध के बाद Halliburton और उससे जुड़ी कंपनियों को बड़े पैमाने पर तेल संयंत्र और इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के कॉन्ट्रैक्ट मिले।
टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा कंपनियों की मांग
आधुनिक युद्ध अब सिर्फ मैदान में नहीं, कंप्यूटर स्क्रीन पर भी लड़े जाते हैं। साइबर अटैक और डिजिटल जासूसी से बचने के लिए देशों को मजबूत टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा की जरूरत पड़ती है। इस दौरान अमेरिका की टेक कंपनियां जैसे Palantir और CrowdStrike सेवाएं देकर मुनाफा कमाती हैं। उदाहरण- यूक्रेन में रूसी साइबर हमलों से निपटने के लिए अमेरिका ने टेक कंपनियों को लगाया, जिन्होंने भारी भुगतान लेकर डाटा सुरक्षा और निगरानी सिस्टम उपलब्ध कराए।
डॉलर की वैश्विक पकड़ और फाइनेंस सेक्टर का फायदा
युद्ध या संकट के समय दुनिया के निवेशक 'सुरक्षित' विकल्प ढूंढते हैं, और सबसे सुरक्षित माना जाता है अमेरिकी डॉलर। इससे अमेरिका के बैंकों, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और सरकारी बॉन्ड में निवेश बढ़ता है।
नतीजा:
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डॉलर मजबूत होता है
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अमेरिका सस्ते ब्याज पर उधार लेकर ज्यादा निवेश करता है
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वॉल स्ट्रीट कंपनियों को भारी फायदा होता है
मेडिकल और खाद्य सप्लाई से भी मुनाफा
युद्ध प्रभावित इलाकों में खाने और दवा की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती बन जाती है। अमेरिका की फार्मा कंपनियां (जैसे Pfizer, Johnson & Johnson) और फूड कंपनियां (जैसे Cargill) इस मानवीय संकट को व्यापारिक अवसर में बदल देती हैं। नतीजा- दवा, टीके, अनाज, पैक्ड फूड और मेडिकल उपकरणों की सप्लाई के ज़रिए अमेरिकी कंपनियां करोड़ों डॉलर कमाती हैं।
मीडिया और मनोरंजन कंपनियों का प्रोपेगेंडा मुनाफा
युद्ध की घटनाएं मीडिया के लिए भी कंटेंट का खजाना होती हैं। अमेरिकी मीडिया हाउस युद्ध क्षेत्र से रिपोर्टिंग करके व्यूअरशिप और विज्ञापन से कमाई करते हैं। OTT प्लेटफॉर्म युद्ध पर आधारित डॉक्यूमेंट्री और फिल्में बनाकर ग्लोबल मार्केट में मोटी कमाई करते हैं।
सैन्य उपस्थिति से भू-राजनीतिक बढ़त
युद्ध के बहाने अमेरिका उस क्षेत्र में सैन्य बेस और राजनीतिक प्रभाव मजबूत करता है जहां उसे भविष्य में खनिज, व्यापारिक या रणनीतिक फायदा मिल सकता है। उदाहरण- अफगानिस्तान में अमेरिका ने दो दशक तक अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखी, जिससे उसे खनिज संपदा, सैन्य नियंत्रण और क्षेत्रीय रणनीतिक लाभ मिला।