यूरोप में गर्मी से मचा हाहाकार फ्रांस में 41°C तक पहुंचा पारा, जानिए क्यों जल रहा ये सर्द महाद्वीप
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 04:33 PM (IST)

National Desk : गर्मी ने इस समय पूरे यूरोप को अपनी चपेट में लिया हुआ है। बात अगर की जाए फ्रांस के पेरिस की तो यहां का तापमान 41°C तक पहुंच चुका है. गर्मी इतनी बढ़ गई कि टॉवर का ऊपरी हिस्सा दो दिन के लिए बंद कर दिया गया है.
फ्रांस की मौसम विभाग ने राजधानी सहित 15 जिलों में रेड अलर्ट घोषित किया है। यह हालात सिर्फ फ्रांस तक सीमित नहीं हैं—इटली, ग्रीस, स्पेन और पुर्तगाल जैसे कई अन्य यूरोपीय देशों को भी तेज गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। चाहे पर्यटक हों या स्थानीय लोग, सभी लोग इस तेज धूप से बचने की जद्दोजहद में लगे हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर यूरोप में इस बार इतनी भीषण गर्मी का कारण क्या है?
यूरोप में गर्मी का तांडव
फ्रांस इस समय तेज हीटवेव की चपेट में है। पर्यावरण एजेंसी के अनुसार, जून 1900 के बाद से सबसे गर्म जूनों में दूसरे नंबर पर है। फ्रांस के दूसरे बड़े शहर मार्से में तापमान 41.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो इस गर्मी का सबसे उच्च रिकॉर्ड है।
इटली में अब गर्मी ‘रोमांटिक समर’ की पहचान को पीछे छोड़ चुकी है। लाज़ियो, टस्कनी, सिसिली, कालाब्रिया, पुग्लिया और उम्ब्रिया जैसे इलाकों में इतनी तेज गर्मी है कि दोपहर के समय खुले में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कई ट्रेड यूनियन इसे पूरे देश में लागू करने की मांग कर रही हैं।
स्पेन भी इससे कम नहीं। दक्षिणी शहर सेविले में तापमान 42 डिग्री तक पहुंच गया है। देश के मध्य और दक्षिणी हिस्सों में स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों इस गर्मी से परेशान हैं। वहीं, ग्रीस में हालात और गंभीर हैं। एथेंस के दक्षिण में जंगलों में 40 डिग्री के आसपास तापमान पर भीषण आग लग गई है। लंदन में चल रहे विंबलडन टेनिस टूर्नामेंट का पहला दिन अब तक का सबसे गर्म दिन माना गया है, जिससे टूर्नामेंट के हीट रिकॉर्ड टूटने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा जर्मनी, नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रिया समेत कई यूरोपीय देशों में लोग गर्मी से बुरी तरह प्रभावित हैं।
क्यों पड़ रही इतनी भीषण गर्मी?
EU की Copernicus Climate Change Service के मुताबिक, जून में यूरोप में दो बड़ी हीटवेव आईं—पहली 20 जून के आस-पास और दूसरी एक सप्ताह बाद। शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि यह जून अब तक के पांच सबसे गर्म जूनों में शामिल हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मानव-जनित जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। खासतौर पर शहरी इलाकों में जहां कंक्रीट, इमारतें और सड़कों की वजह से गर्मी फंस जाती है, जिसे ‘अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट’ कहा जाता है।
हीट डोम: गर्म हवा का जाल
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार यूरोप की तेज गर्मी के पीछे एक और बड़ा कारण है 'हीट डोम’। यह एक हाई-प्रेशर सिस्टम होता है, जो गर्म और सूखी हवा को एक क्षेत्र में बंद कर देता है। इस हीट डोम ने उत्तरी अफ्रीका से गर्म हवा को दक्षिणी यूरोप की तरफ खींच लिया है, जिससे गर्मी और बढ़ गई है। 2023 में लैंसेट पब्लिक हेल्थ की एक स्टडी में चेतावनी दी गई है कि अगर तापमान इसी गति से बढ़ता रहा, तो इस सदी के अंत तक यूरोप में गर्मी से होने वाली मौतों की संख्या तीन गुना तक बढ़ सकती है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव इटली, ग्रीस और स्पेन जैसे देशों पर पड़ेगा।