उड़ानों में देरी, कई फ्लाइट रद्द... यूरोप के बड़े हवाईअड्डों पर साइबर अटैक, भारत पर क्या असर?
punjabkesari.in Sunday, Sep 21, 2025 - 12:35 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः यूरोप के कई प्रमुख हवाई अड्डों पर शनिवार को एक बड़े साइबर हमले ने हवाई यातायात व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया। इस साइबर हमले का असर हीथ्रो (लंदन), ब्रुसेल्स, बर्लिन, एम्सटर्डम जैसे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स पर देखा गया, जहां सैकड़ों उड़ानों में देरी हुई और कई को रद्द भी करना पड़ा।
हमले का निशाना बनीं चेक-इन और बोर्डिंग सिस्टम उपलब्ध कराने वाली अमेरिकी डिफेंस और एविएशन टेक्नोलॉजी कंपनी Collins Aerospace (कोलिन्स एयरोस्पेस), जिसकी MUSE (Multi-User System Environment) एप्लिकेशन का उपयोग दर्जनों अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर किया जाता है।
सिस्टम डाउन, यात्री लाइन में खड़े
साइबर हमले के कारण प्रभावित हवाई अड्डों पर चेक-इन, बैगेज टैगिंग और बोर्डिंग पास जारी करने जैसी मूलभूत प्रक्रियाएं ठप हो गईं। इससे ना सिर्फ एयरलाइनों को तकनीकी संकट का सामना करना पड़ा, बल्कि यात्रियों को घंटों लंबी कतारों में इंतज़ार करना पड़ा।
लंदन हीथ्रो एयरपोर्ट, जो यूरोप का सबसे व्यस्ततम हवाई अड्डा है, वहां यात्रियों ने सोशल मीडिया पर फंसे होने और उड़ानों में अनिश्चित देरी की शिकायतें साझा कीं।
भारत पर कोई प्रतिकूल असर नहीं: अधिकारियों की पुष्टि
इस साइबर हमले के बाद भारत में भी सुरक्षा एजेंसियों और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने तुरंत सतर्कता बढ़ाई और स्थिति की समीक्षा की। हालांकि, भारतीय हवाई अड्डों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है, इसकी पुष्टि वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा की गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:“हमने भारत के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से संचालन संबंधी स्थिति की जानकारी ली है। यूरोप की घटना का भारतीय हवाई अड्डों की तकनीकी प्रणालियों या सेवाओं पर कोई नकारात्मक असर नहीं देखा गया है।”
कोलिन्स एयरोस्पेस क्या है और इसका रोल कितना अहम है?
Collins Aerospace, अमेरिकी रक्षा कंपनी Raytheon Technologies की एक सहायक इकाई है, जो वैश्विक स्तर पर एयरपोर्ट टेक्नोलॉजी, नेविगेशन, कम्युनिकेशन और डेटा मैनेजमेंट से जुड़ी सेवाएं प्रदान करती है। इसकी MUSE प्रणाली का प्रयोग विभिन्न एयरलाइंस और हवाई अड्डे यात्रियों के क्लाउड-बेस्ड चेक-इन और बोर्डिंग प्रक्रिया को चलाने में करते हैं।
MUSE एक मल्टी-यूज़र, मल्टी-एयरलाइन तकनीक है, जिसमें कई एयरलाइंस एक ही सिस्टम का इस्तेमाल कर सकती हैं। इस सिस्टम के बाधित होते ही एयरपोर्ट संचालन बुरी तरह प्रभावित हो गया।
कौन-कौन से एयरपोर्ट प्रभावित हुए?
अभी तक जिन प्रमुख हवाई अड्डों के प्रभावित होने की पुष्टि हुई है, उनमें शामिल हैं:
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लंदन हीथ्रो (UK)
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ब्रुसेल्स इंटरनेशनल (Belgium)
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बर्लिन एयरपोर्ट (Germany)
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एम्सटर्डम शिफोल (Netherlands)
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ओस्लो एयरपोर्ट (Norway)
इन एयरपोर्ट्स पर कई अंतरराष्ट्रीय और यूरोपीय उड़ानें आंशिक रूप से या पूरी तरह से ठप रहीं।