अलास्का में पुतिन-ट्रंप के बीच गुप्त डील की तैयारी, 15 अगस्त को होगा यूक्रेन की किस्मत का फैसला

punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 05:14 PM (IST)

International Desk: दुनिया की निगाहें अब 15 अगस्त पर टिकी हैं, जब अमेरिकी राष्ट्रपति  डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का में आमने-सामने बैठेंगे। आधिकारिक रूप से चर्चा का मुद्दा रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत होगा, लेकिन परदे के पीछे एक विवादित “शांति योजना” ने भूचाल ला दिया है, जिसमें यूक्रेन की ज़मीन रूस को सौंपने की बात हो रही है, और वह भी बिना यूक्रेन की मौजूदगी के। कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्ताव में कहा गया है कि  यूक्रेन अपने दो बड़े इलाक़े  डोनेट्स्क और लुहांस्क  रूस को सौंप दे और बदले में रूस  खारकीव और  सूमी जैसे छोटे इलाक़ों से पीछे हट जाएगा।

 

बताया जा रहा है कि पुतिन ने यह प्लान पहले ही ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ को बता दिया था। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह ठुकरा दिया। यूक्रेन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने साफ कहा, “हमारी सेना को अपनी जमीन छोड़ने का आदेश कोई नहीं दे सकता।” उनका आरोप है कि रूस पूरी दुनिया में यह संदेश फैलाना चाहता है कि यूक्रेन ट्रंप की “शानदार योजना” को ठुकरा रहा है, जबकि असल में यह रूस की चाल है ताकि कब्जे को वैध ठहराया जा सके। रूस ने जापोरिझिया और खेरसॉन में मौजूदा मोर्चे पर रुकने की बात भी कही है, जहां उसका पहले से 70% से ज़्यादा कब्ज़ा है। लेकिन कीव के लिए यह भी स्वीकार्य नहीं है। 8 अगस्त  को ट्रंप ने पुतिन से मुलाक़ात की पुष्टि करते हुए कहा था कि यूक्रेन को “कई चीज़ों के लिए तैयार रहना होगा” और ज़मीन के आदान-प्रदान का भी संकेत दिया।

 

इस पर शनिवार को जेलेंस्की ने वीडियो संदेश में जवाब दिया  “यूक्रेन का संविधान हमारी जमीन की रक्षा करता है। हम रूस को एक इंच भी ज़मीन नहीं देंगे।”सबसे विवादास्पद पहलू यह है कि यूक्रेन के भविष्य पर बातचीत हो रही है, लेकिन उसे मीटिंग में बुलाया ही नहीं गया। हालांकि  NBC न्यूज के अनुसार, व्हाइट हाउस अब जेलेंस्की को बुलाने पर विचार कर रहा है। अलास्का में उनकी मौजूदगी अभी पक्की नहीं है, लेकिन अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह “पूरी तरह संभव” है और चर्चा जारी है। अलास्का की यह मुलाक़ात सिर्फ युद्ध के अंत पर असर नहीं डालेगी, बल्कि यह भी बताएगी कि अमेरिका–रूस रिश्तों की दिशा क्या होगी  और क्या वॉशिंगटन, यूक्रेन को उन रियायतों के लिए मजबूर करेगा जिन्हें वह अब तक सख्ती से नकारता आया है।
 


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Content Writer

Tanuja

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