अमेरिकी संसद में ‘किड्स डॉकेट’ पर रोना-धोना ! आंसू बहाने पर घिरी प्रमिला जयपाल, ड्रामे पर छिड़ी तीखी बहस (Video))
punjabkesari.in Thursday, Dec 18, 2025 - 03:59 PM (IST)
Washington: अमेरिकी कांग्रेस में इमिग्रेशन नीति को लेकर एक बार फिर तीखी बहस देखने को मिली, जब डेमोक्रेट सांसद प्रमिला जयपाल ने तथाकथित “किड्स डॉकेट” (बच्चों से जुड़ी आव्रजन सुनवाई) को लेकर भावुक भाषण दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बेहद कम उम्र के बच्चों को भी जटिल कानूनी प्रक्रियाओं में अकेले पेश होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जयपाल ने सदन में कहा कि “पांच साल तक के बच्चे, खिलौना पकड़े हुए, खुद का प्रतिनिधित्व करने की कोशिश कर रहे हैं”, और इस दृश्य को उन्होंने अमानवीय करार दिया।
🚨😭CRYBABY ALERT: PRAMILA SOBS OVER “KIDS’ DOCKET” LIKE ICE IS RUNNING A DISNEY VILLAIN AUDITION
— Tears of the Left (@CheersToTears) December 18, 2025
Rep. Pramila just turned Congress into theater, painting routine immigration hearings as a gothic horror show.
She acted like rare cases are the norm, insisting children are… https://t.co/SGV9MiRaAH pic.twitter.com/WPVHDDh3en
उनके बयान के बाद यह मुद्दा सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया। हालांकि, उनके भाषण पर कड़ी आलोचना भी हुई। आलोचकों का कहना है कि जयपाल ने अपवादस्वरूप मामलों को सामान्य नियम की तरह पेश किया और तथ्यों की बजाय भावनात्मक चित्रण पर ज़ोर दिया। उनके अनुसार, आव्रजन सुनवाई का उद्देश्य बच्चों से जिरह करना नहीं, बल्कि कानूनी रूप से उनकी स्थिति दर्ज करना होता है।
विशेषज्ञों का तर्क है कि औपचारिक कानूनी प्रक्रिया, चाहे वह कठिन क्यों न लगे, मनमाने फैसलों की तुलना में अधिक पारदर्शी और सुरक्षित होती है। लेकिन आलोचकों का आरोप है कि इस महत्वपूर्ण अंतर को जानबूझकर नजरअंदाज कर, पूरे मुद्दे को राजनीतिक मंचन में बदल दिया गया। कुल मिलाकर, “किड्स डॉकेट” पर प्रमिला जयपाल का भाषण एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर रहा है कि अमेरिकी राजनीति में नीति चर्चा और भावनात्मक राजनीति के बीच संतुलन कहां तक कायम है।
