साल 2016 में छाए रहे इन महादेशों के ये मसले

punjabkesari.in Thursday, Dec 29, 2016 - 12:36 PM (IST)

लंदनः साल 2016 दुनिया भर  के लिए  उथलपुथल वाला रहा। अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव, दुनिया में बढ़ता चरमपंथ का खतरा व  सीरिया युद्ध ये कुछ ऐसे मामले हैं, जो दुनिया के भविष्य को लेकर मन में कई सवाल खड़े करते हैं। हालांकि इनके अलावा भी कई समस्याएं हैं, जिससे दुनिया के विभिन्न महादेश जूझ रहे हैं। यहां वैसे ही कुछ मसलों पर नजर डालेंगे जिनसे विभिन्न महाद्वीप जूझ रहे हैं। 


एशिया: आकार और जनसंख्या दोनों ही मामलों में दुनिया के सबसे बड़े महाद्वीप एशिया के सामने आतंकवाद और सीमा विवाद जैसी कुछ बड़ी चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं। दुनिया के विभिन्न देशों की तरह यहां भी आतंकवाद की समस्या चिंता का सबब है। भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में आतंकवाद एक बड़ी समस्या बनी हुई है, तो वहीं बांग्लादेश में भी चरमपंथी ताकतें पैर पसारती दिख रही है। आतंकवाद के बाद सीमा विवाद भी यहां शांति की राह में रोड़ा बना हुआ है. भारत का पाकिस्तान और चीन के सीमा विवाद शांति की राह में रोड़ा बना हुआ है। वहीं दक्षिण चीन सागर पर चीनी प्रभुत्व भी क्षेत्रीय शांति के लिए एक चुनौती है। उधर, उत्तर कोरिया के अडियल रवैये के चलते पड़ोसी मुल्क दक्षिण कोरिया से उसकी जंग की आशंका हमेशा ही बनी रहती है.

यूरोप: इस महाद्वीप की समस्याओं की बात करें तो कभी वैश्विक अर्थव्यवस्था की एक धुरी रहे यूरोप के लिए उसकी अर्थव्यवस्था ही सबसे बड़ी समस्या है। ग्रीस, स्पेन और इटली में गिरती अर्थव्यवस्था के चलते बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन गया है।  यूरोस्टैट के आंकड़ों के मुताबिक, ग्रीस में कुल आबादी का 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सा बेरोजगारी की मार झेल रहा है, तो वहीं 25 साल के कम उम्र वाले बेरोजगार युवाओं की संख्या तो 45% के पार है। इस बीच ब्रिटेन ने यूरोपीय यूनियन से अलग होकर इस महाद्वीप की चिंताओं को और बढ़ा दिया। वहीं शरणार्थी संकट भी यूरोप के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है। पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका से करीब चार लाख से ज्यादा शरणार्थी आसरे की उम्मीद में यूरोप पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में पहुंचे इन शरणार्थियों की वजह से वहां के सामाजिक एवं आर्थिक ढांचे पर गहरा असर पड़ा है।

अफ्रीका: दुनिया में सबसे ज्यादा मुश्किलों में घिरा महाद्वीप अगर देखें तो अफ्रीका ही है। गरीबी, भुखमरी, जातीय हिंसा और तानाशाह सरकारें- ये कुछ ऐसी समस्या है, जिससे इस महाद्वीप को जल्द निजात मिलता नहीं दिख रहा। कुल 1.1 अरब की आबादी वाले अफ्रीका में गरीबी का आलम यह है कि साल 2013 में 33 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे थे. खाने की कमी से जूझते दुनिया के 20 देशों में से 19 अफ्रीका में ही है।

दक्षिण अमरीका: मुख्य रूप से साम्यवादी रुझान वाले लातिन अमरीकी देशों के लिए इन दिनों सुस्त अर्थव्यवस्था ही चिंता का बड़ा है. कोलंबिया जहां भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है, वहीं ब्राजील, अर्जेंटीना, मेक्सिको जैसे देशों की अर्थव्यवस्था भी मुश्किलों में घिरी है।

उत्तर अमरीका: यह महाद्वीप यूं तो क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से एशिया और अफ्रीका से काफी छोटा है, लेकिन दुनिया में इस महाद्वीप और खासकर इसके एक देश संयुक्त राज्य अमरीका की दखल सबसे ज्यादा है। विश्व की इस सबसे बड़ी महाशक्ति की समस्याओं का असर न  सिर्फ उत्तर अमरीका बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ता है।  पिछली बार वर्ष 2008 में यहां आई मंदी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया था. मंदी का वह दौर तो खत्म हो गया, लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था अब तक उस झटके से पूरी तरह उबर नहीं पाई है. वहीं रंगभेद भी यहां अब तक एक बड़ी समस्या बनी हुई है। 
 


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