अमेरिका के प्लान से टेंशन में चीन; शी ने मिडिल ईस्ट में बढ़ाई दोस्ती, बढ़ेगी भारत की चिंता

punjabkesari.in Wednesday, Jun 15, 2022 - 04:24 PM (IST)

बीजिंग: चीन ग्लोबल सुपरपावर बनने की अपनी महत्वकांशा पूरा करने  के लिए आर्थिक कदमों का विस्तार कर रहा है। दरअसल चीन वैश्विक महाशक्ति बनने की इच्छा रखता है और इसे पूरा करने की खातिर नए-नए 'दोस्त' बना रहा है। चीन ने अब मिडिल ईस्ट में एक दोस्त को चुना है जो भारत के लिए खतरे की घंटी है। दरअसल, अमेरिका जिस तरह से चीन को रोकने के लिए नई नई संधियां कर रहा है, उसके जवाब में चीन भी कदम उठा रहा है और अब चीन ने मिडिल ईस्ट में एक नये साथी को खोज लिया है।

 

अमेरिका ने जैसे ही अपने इंडो-पैसिफिक आर्थिक ढांचे का अनावरण किया, ठीक वैसे ही चीन ने मिडिल ईस्ट में संयुक्त अरब अमीरात और जाम्बिया को से गठजोड़ शूरू कर दिया है । मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले महीने के अंत में संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और जाम्बिया के समकक्ष हाकेंडे हिचिलेमा को फोन किया था। खास बात यह है कि  शी जिनपिंग ने यूएई के राष्ट्रपति को तब फोन किया जब बाइडेन प्रशासन ने इंडो-पैसिफिक में चीनी वर्चस्व को कुंद करने के लिए अपनी नई नीति का खुलासा किया।

 

दरअसल, IPEF को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जापान की राजधानी टोक्यों में पिछले महीने क्वाड की बैठक के दौरान लांच किया जिसका मकसद इंडो-पैसिफिक यानि भारत-प्रशांत क्षेत्र में व्यापारिक भागीदारी को चीन के प्रभाव से मुक्त करना है। इस संगठन में अमेरिका के अलावा 12 और देश ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। यानि  13 देशों का ये गठबंधन दुनिया की कुल जीडीपी का 40 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करते हैं। 

 

 अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर इस संगठन के सभी साझेदार एशिया महाद्वीप के हैं और उससे भी सबसे बड़ी बात ये हैं, कि इनमें से ज्यादातर देश चीन के पड़ोसी हैं और चीन के साथ इनके रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। लिहाजा, इस व्यापारिक प्लेटफॉर्म को बनाने का मकसद ही इंडो-पैसिफिक में विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ चीन के आर्थिक प्रभुत्व का मुकाबला करना है।  बता दें कि, शंगरी-ला डॉयलाग के दौरान ताइवान के मुद्दे पर चीन और अमेरिका की नाराजगी खुलकर सबके सामने आई है।

 

इन सबके बीच चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि, ताइवान की स्वतंत्रता को रोकने के लिए बीजिंग अंत तक लड़ेगा। जनरल वेई फेंग ने आरोप लगाया कि अमेरिका बहुपक्षवाद की आड़ में अपने हितों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि, चीन में 1949 में हुये गृहयुद्ध के बाद ताइवान अलग हो गया था । लेकिन चीन हमेशा से दावा करता रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है।। शंगरी-ला डॉयलाग में उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि, ताइवान की आजादी की खोज एक 'डेड एंड' है।


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Content Writer

Tanuja

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