ब्रिटेन की जेलों में भीड़ कम करने का प्लान, केमिकल से "ठंडे" करके छोड़े जाएंगे खूंखार यौन अपराधी

punjabkesari.in Thursday, May 22, 2025 - 01:04 PM (IST)

London: ब्रिटेन सरकार जेलों में भीड़ कम करने के लिए बड़ी Shocking  योजना बना रही है। इस योजना के तहत यौन अपराधियों को "ठंडे" करने यानि केमिकल बंध्याकरण (chemical castration) की दवा दी जा सकती है ताकि उनकी यौन इच्छा को कम करके रिहा किया जा सके। साथ ही, हजारों अपराधियों को अब उनकी सजा का सिर्फ एक तिहाई हिस्सा जेल में काटने के बाद रिहा किया जा सकता है। ब्रिटेन की लॉर्ड चांसलर  हबाना महमूद  गंभीर यौन अपराधियों के लिए  अनिवार्य केमिकल कास्ट्रेशन (रासायनिक बंध्यता)  लागू करने पर विचार कर रही हैं। यह कदम जेलों में बढ़ती भीड़ को कम करने और यौन अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए उठाया जा सकता है। सरकार पहले से ही कुछ क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट चला रही है, और अब इसे   20 क्षेत्रों तक फैलाने की तैयारी है। यह योजना एक स्वतंत्र सजा समीक्षा रिपोर्ट की सिफारिशों पर आधारित है, जिसमें 48 सुझाव दिए गए हैं। इस रिपोर्ट का नेतृत्व पूर्व न्याय मंत्री डेविड गॉक  ने किया।

 

 रिपोर्ट की मुख्य बातें 

  •  अच्छा व्यवहार करने वाले कैदियों को उनकी कुल सजा का तीसरा हिस्सा पूरा करने के बाद टैग पहनाकर रिहा किया जा सकता है।
  •  गंभीर यौन व हिंसक अपराधों के दोषियों  को भी सजा का आधा हिस्सा काटने के बाद समुदाय में निगरानी के तहत रिहा किया जा सकता है।
  •  सबसे खतरनाक अपराधियों को "क्रेडिट्स" कमाने पर जल्दी पैरोल के लिए आवेदन की अनुमति देने का सुझाव अस्वीकृत कर दिया गया है ।

 

केमिकल कास्ट्रेशन क्या है?
यह एक चिकित्सकीय प्रक्रिया है जिसमें कुछ दवाओं के ज़रिए यौन इच्छा और विचारों को दबाया जाता है। यह पहले से  जर्मनी, डेनमार्क और पोलैंड जैसे देशों में इस्तेमाल हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि:  “समस्या बनने वाली यौन उत्तेजना और जुनूनी यौन विचारों को रासायनिक दवाओं से कम किया जा सकता है, जिन्हें विशेष परिस्थितियों में अपराधियों को दिया जा सकता है।”
 
 

मानवाधिकार संगठनों का विरोध
सरकारी सूत्रों के मुताबिक  महमूद गुरुवार को संसद में बयान देंगी और बताएंगी कि कौन-कौन सी सिफारिशों को मंजूरी दी जाएगी। यह 1990 के दशक के बाद आपराधिक न्याय प्रणाली में सबसे बड़ा बदलाव  माना जा रहा है। यह योजना जहां एक ओर अपराधियों को सुधारने की दिशा में एक प्रयास है, वहीं कई मानवाधिकार संगठनों और निगरानी संस्थाओं ने इसकी नैतिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं।
 


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Content Writer

Tanuja

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