PAK सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी-अल्पसंख्यकों के प्रति कट्टरता कारण पाकिस्तान हो रहा बदनाम
punjabkesari.in Monday, Mar 28, 2022 - 04:02 PM (IST)

इस्लामाबादः अल्पसंख्यकों के प्रति कट्टर व्यवहार को लेकर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी जारी की है। कोर्ट का कहना है कि इससे दुनिया में पाकिस्तान की गलत छवि प्रस्तुत हो रही है। अल्पसंख्यकों के प्रति कट्टरता ने पाकिस्तानियों पर असहिष्णु, हठधर्मी व कठोर होने का लेबल चिपका दिया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने लाहौर हाई कोर्ट के उस आदेश को पलट दिया जिसमें अहमदिया समुदाय के लोगों को ईशनिंदा का आरोपित करार दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अहमदिया समुदाय के लोगों पर आरोप था कि उन्होंने अपने उपासना स्थल की डिजाइन की और उसकी भीतरी दीवारों पर इस्लामिक प्रतीकों का इस्तेमाल किया। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस सैयद मंसूरी अली शाह के 9 पन्नों के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा, 'देश के गैर मुसलमानों (अल्पसंख्यकों) को उनके मतों से वंचित करना और उन्हें उनके उपासना स्थलों की चारदीवारी में कैद करना लोकतांत्रिक संविधान के खिलाफ और हमारे इस्लामिक गणराज्य की भावनाओं के प्रतिकूल है।'
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस शाह ने अहमदी समुदाय के लोगों की तरफ से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। इसमें यह भी आरोप लगाया कि अहमदी समुदाय के उपासना स्थल का बिजली बिल मस्जिद के नाम पर आता है। वर्ष 1984 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान सरकार ने अहमदिया समुदाय के उपासना स्थलों को मस्जिद कहने और अजान देने को अपराध करार दिया था। इसके लिए तीन साल कैद व जुर्माने का प्रविधान किया गया था। इसी आधार पर आरोप लगाए गए थे और याचिकाकर्ताओं के खिलाफ मुकदमे की कार्यवाही शुरू की गई थी।