Breaking: Bangladesh कोर्ट ने देश में घातक हिंसा के बाद सरकारी नौकरियों को लेकर लिया बड़ा फैसला

punjabkesari.in Sunday, Jul 21, 2024 - 03:46 PM (IST)

Dhaka: Bangladesh की शीर्ष कोर्ट ने रविवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए सिविल सेवा नौकरी आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली में  कटौती की   लेकिन इसे समाप्त नहीं किया। बांग्लादेश की शीर्ष अदालत ने देश में आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बीच सरकारी नौकरियों में रविवार को आरक्षण घटा दिया। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियां योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित की जाएं और शेष सात प्रतिशत 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों तथा अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ी जाएं।

 

पहले युद्ध लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण था। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर कई दिन से प्रदर्शन हो रहे थे और हालात बिगड़ने पर शनिवार को पूरे देश में कठोर कर्फ्यू लगा दिया गया। सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की। बांग्लादेशी अधिकारियों ने मृतकों और घायलों की कोई आधिकारिक संख्या साझा नहीं की है लेकिन समाचार दैनिक ‘प्रोथोम अलो' में शनिवार को प्रकाशित एक खबर में बताया गया कि अब तक कम से कम 105 लोग मारे गए हैं।  

 

पिछले महीने इस योजना के फिर से शुरू होने के बाद घातक राष्ट्रव्यापी नागरिक संघर्ष हुआ। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा की पाँच प्रतिशत नौकरियाँ स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के बच्चों के लिए और दो प्रतिशत अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित रहेंगी।  बांग्लादेश में कर्फ्यू बढ़ा दिया गया है । बता दें कि छात्रों ने बांग्लादेश के ढाका में सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान दंगा पुलिस के साथ झड़प की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 93% सरकारी नौकरियों को योग्यता-आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित करने का आदेश दिया, जबकि शेष 7% 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले दिग्गजों के रिश्तेदारों और अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ दिया। इससे पहले, इस प्रणाली ने युद्ध के दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए ऐसी 30% नौकरियों को आरक्षित किया था। रविवार का फैसला कई हफ्तों के प्रदर्शनों के बाद आया है।

 

 


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Content Writer

Tanuja

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