ऑस्ट्रेलिया सरकार का बड़ा फैसला: 16 साल तक के बच्चे नहीं चला पाएंगे सोशल मीडिया
punjabkesari.in Thursday, Nov 07, 2024 - 11:10 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क. बच्चों में स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की लत एक आम समस्या बन चुकी है। मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल के कारण न केवल उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि शारीरिक गतिविधियों में भी कमी आ रही है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर बैन लगाने का निर्णय लिया है। यह जानकारी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने गुरुवार को दी।
बच्चों की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा कि टेक कंपनियां बच्चों की सुरक्षा को लेकर जरूरी कदम उठाने में विफल रही हैं, जिसके कारण यह फैसला लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम माता-पिता की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि बच्चों के भले के लिए उठाया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब अल्बनीज ने सोशल मीडिया पर उम्र सीमा लगाने की बात की है। इस साल की शुरुआत में भी उन्होंने सोशल मीडिया के उपयोग के बारे में चिंता जताई थी।
किस-किस प्लेटफॉर्म पर लागू होगा बैन?
ऑस्ट्रेलिया के कम्युनिकेशन मिनिस्टर मिशेल रोलैंड ने बताया कि इस फैसले का असर प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिक-टोक और X (पूर्व ट्विटर) पर पड़ेगा। इन प्लेटफार्म्स पर 16 साल से कम उम्र के बच्चों के अकाउंट्स पर रोक लगाई जाएगी।
सोशल मीडिया कंपनियों की होगी जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने यह भी कहा कि यह सोशल मीडिया और टेक कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि वे सुनिश्चित करें कि उनके प्लेटफॉर्म पर यूजर्स की उम्र सीमा का पालन किया जाए। इसके तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहेगा और अगर ऐसा होता है तो इसके लिए माता-पिता या बच्चों पर जुर्माना नहीं लगेगा। यह सोशल मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी होगी कि वे इस नियम का पालन सुनिश्चित करें।
नए फैसले को मिल रहा समर्थन
इस नए फैसले को लेकर काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। एंथनी अल्बनीज ने कहा कि यह नया कानून इस सप्ताह के अंत तक लागू हो जाएगा और नवंबर में इसे संसद में पेश किया जाएगा। इस कदम की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया से हो रही है, लेकिन भविष्य में इसका असर अन्य देशों पर भी पड़ सकता है। सोशल मीडिया के बच्चों पर बढ़ते नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए यह फैसला स्वागत योग्य माना जा रहा है।