अफगानिस्तान में पाकिस्तान के अल-कायदा सहित 20 से ज्यादा आतंकी समूह सक्रिय

punjabkesari.in Wednesday, May 05, 2021 - 04:41 PM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्कः तालिबान के अफगानिस्तान में शांति बनाए रखने के दावे  के बीच काबुल ने खुलासा किया कि आतंकी संगठन अब भी अल-कायदा से करीबी संबंध बनाए हुए हैं। द न्यूज इंटरनेशनल ने रिपोर्ट के अनुसार अफगान सरकार ने कहा कि अल-कायदा नेटवर्क की जड़ें अभी भी अफगानिस्तान में जीवित हैं और समूह अभी भी देश और दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है और तालिबान के साथ सहयोग कर रहा है ।  एक पूर्व सैन्य अधिकारी अतीकुल्लाह अमरखिल ने कहा, "अल-कायदा अभी भी अफगानिस्तान में सक्रिय है।"

 

आतंकवादी संगठन अल-कायदा के संस्थापक ओसामा बिन लादेन को 2 मई 2011 को एबटाबाद में अमेरिकी सुरक्षा बलों ने मार डाला था। उसे पाकिस्तान में कंपाउंड में गोलाबारी के दौरान सिर में गोली लगी थी। न्यूज इंटरनेशनल ने  अपनी रिपोर्ट में कहा कि अल-कायदा और तालिबान दो अलग-अलग विचारधारा वाले  संगठन नहीं वे इससे भी आगे हैं क्योंकि उन्होंने अपने परिवारों में अंतरजातीय विवाह किया है।  बावजूद इसके तालिबान ने अल-कायदा के साथ किसी भी प्रकार के संबंधों को खारिज कर दिया है। पिछले 20 वर्षों में अफगानिस्तान में अमेरिकी उपस्थिति अल-कायदा के  कारण थी।

 

उधर, अमेरिका लौटने की तैयारी कर रही सेना ने भी एक बार फिर दावा किया है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान के आतंकी समूह अभी भी  सक्रिय हैं । अमेरिकी सेना की एक परियोजना में वरिष्ठ निदेशक डॉ. हैंस-जैकब शिंडलर ने कहा कि अफगानिस्तान में अब भी 20 से  ज्यादा सक्रिय पाकिस्तानी आतंकी समूह हैं जो मध्य-एशिया, अफगानिस्तान और ईरान के लिए खतरा पैदा करते हैं।अमेरिका ने सैन्य वापसी का ऐलान करते हुए कहा है कि अफगानिस्तान को अब पश्चिमी धरती पर हमलों की साजिश करने वाला अभयारण्य नहीं बनना चाहिए लेकिन वाशिंगटन यह कैसे सुनिश्चित करेगा कि अफगानिस्तान में अब ऐसा नहीं होगा।

 

अफगानिस्तान में सैन्य संगठनों ने विभिन्न आतंकी गुटों के बिखराव के बावजूद यह पाया है कि 2017 के बाद से देश में अफगान सरकार के खिलाफ पाकिस्तान के 20 से ज्यादा आतंकी समूह सक्रिय हैं। इनमें से कई गुटों का पाकिस्तान में बाकायदा तालमेल भी जारी है। इनमें अल-कायदा, ISIS, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-ताइबा, लश्कर-ए-झांगवी, जैश-ए-मोहम्मद, पाकिस्तानी तालिबान और उजबेकिस्तान का इस्लामिक आंदोलन शामिल है। अमेरिका का कहना है कि उसके सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी के बाद से अधिकारियों को हिंसा की धमकियां मिलनी शुरू हो गई हैं। वाशिंगटन ने कहा कि अफगानिस्तान से सेना के चले जाने के बाद भी वह दूतावास बनाए रखेगा। अफगानिस्तान में अमेरिका के कार्यकारी राजदूत रॉस विल्सन ने कहा, यह फैसला काबुल में हिंसा और धमकी की बढ़ती रिपोर्ट के तहत लिया गया है। उन्होंने बताया कि दूतावास से दी जाने वाली सेवाओं में भी कोई कमी नहीं होगी।


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Content Writer

Tanuja

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