रूस के बाद अब यहां लगे भूकंप के तेज झटके...भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बढ़ा!
punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 10:37 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः रूस के सुदूर पूर्वी इलाके कामचटका प्रायद्वीप में शुक्रवार की सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वे के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.8 दर्ज की गई थी। भूकंप का केंद्र जमीन से लगभग 10 किलोमीटर की गहराई में था।
वहीं अब शनिवार दोपहर को ताजिकिस्तान में रिक्टर पैमाने पर 4.5 तीव्रता का भूकंप आया है। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, यह भूकंप दोपहर 1:16 बजे (भारतीय समय अनुसार) 10 किलोमीटर की गहराई पर आया।
ताजिकिस्तान एक पहाड़ी देश है जहां प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बहुत अधिक है। यहां के पहाड़ी इलाके भूस्खलन, बाढ़, सूखा, हिमस्खलन और कीचड़ के बहाव (मडस्लाइड) जैसी आपदाओं से अक्सर प्रभावित होते रहते हैं। खासकर ग्लेशियरों पर निर्भर नदियां, जो जल विद्युत और सिंचाई के लिए पानी देती हैं और पहाड़ी पारिस्थितिक तंत्र इस खतरे से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
विश्व बैंक के क्लाइमेट चेंज नॉलेज पोर्टल के अनुसार, जलवायु परिवर्तन की वजह से ताजिकिस्तान की परिस्थितियाँ और भी नाजुक होती जा रही हैं। अनुमान है कि 2050 तक यहां के लगभग 30 प्रतिशत ग्लेशियर पिघल जाएंगे। इससे बाढ़ और भू-जल संकट की संभावना बढ़ जाएगी।
ताजिकिस्तान दुनिया के सबसे अलग-थलग पड़े देशों में से एक है, जहां भूस्खलन, मलबा बहाव और बाढ़ के कारण कई पुल टूट जाते हैं और सड़कें बंद हो जाती हैं। इससे वहां की कमजोर बाढ़ सुरक्षा प्रणाली और भी कमजोर हो जाती है, जिससे स्थानीय लोग और ज्यादा जोखिम में आ जाते हैं।
देश का 60 प्रतिशत हिस्सा उच्च भूकंपीय जोखिम क्षेत्र में आता है, इसलिए भूकंप का खतरा भी बहुत गंभीर है। इसके अलावा, ताजिकिस्तान की बुनियादी ढांचा (इन्फ्रास्ट्रक्चर) की हालत भी खराब हो रही है क्योंकि उसका रखरखाव ठीक से नहीं हो पा रहा और बार-बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। ग्लोबल फैसिलिटी फॉर डिजास्टर रिडक्शन एंड रिकवरी (GFDRR) का कहना है कि नए या पुनर्निर्मित निर्माण कार्यों में प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के खतरों को ध्यान में रखते हुए योजना बनानी चाहिए, ताकि ये संरचनाएँ लंबे समय तक सुरक्षित और मजबूत रह सकें।