अफगानिस्तान विस्थापितों का छलका दर्द, बोले-तालिबान हिंसा से उजड़ गया सब कुछ

punjabkesari.in Saturday, Aug 14, 2021 - 03:28 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में जारी तालिबान हिंसा के चलते हजारों अफगानी परिवार देश से पलायन को मजबूर हैं।  जैसे-जैसे सरकार और  तालिबान के बीच संघर्ष बढञता जा रहा है वैसे वैसे विस्थापित हुए हजारों परिवारों को आश्रय सहित अपनी अन्य बुनियादी जरूरतों के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। राजधानी काबुल में एक घर के भीतर पांच-पांच परिवार रहने को मजबूर हैं। ये लोग उत्तरी प्रांत में स्थित कुंदज शहर से बचकर भागे हैं। इन लोगों का कहना है कि इन्हें मानवीय सहायता की तत्काल जरूरत है।

 

कुंदज की रहने वाली जीबा कहती हैं कि उन्होंने लड़ाई के कारण बीते वर्षों में अपने कई बच्चों को खो दिया है और उनके साथ ऐसा चौथी बार हो रहा है, जब उन्हें संघर्ष के कारण विस्थापित होना पड़ा है। वह कहती हैं, ‘हमने कभी खुशी का एक दिन भी नहीं देखा है। हमने केवल झड़प और हिंसा ही देखी है।’ विस्थापन का शिकार बने मोहम्मद हसन का कहना है कि लड़ाई में उनका घर पूरी तरह बर्बाद हो गया और ऐसा तब हुआ जब उन्होंने अपना घर छोड़ दिया।  मोहम्मद हसन ने कहा, ‘हम दोनों तरफ से फंसे हुए हैं। एक तरफ से तालिबान गोलीबारी कर रहा है और दूसरी तरफ से सरकारी सुरक्षाबल। ’

 

एक अन्य विस्थापित महिला सोना का कहना है कि अगर शांति नहीं लौटी तो हमारा भविष्य क्या होगा? ये सवाल सभी के लिए है कि हमारा भविष्य क्या होगा? आप शिक्षित होंगे तभी कुछ हासिल कर सकते हैं, आप अगर शिक्षित ही नहीं होंगे तो क्या करेंगे?  महफूजा नामक एक अन्य नागरिक का कहना है कि हमें नहीं पता कि कब ईद होती है और कब एक सामान्य दिन होता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार देश में तालिबान हिंसा के कारण हाल के महीनों में 3 लाख से अधिक लोगों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा है।  ऐसा खासतौर पर देश के उत्तरी हिस्से में देखने को मिला है।

 

गौरतलब है कि 20 साल बाद अमेरिकी और नाटों सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी हो रही है, जिसके बाद से तालिबान ने अपनी ताकत को बढ़ाते हुए देश के करीब 85 फीसदी हिस्से पर कब्जा करने का दावा किया है।  सरकार को पूरी तरह उखाड़ फेंकने के लिए उसकी नजर अब राजधानी काबुल पर भी टिकी हुई हैं । अफगान सरकार का कहना है कि वह तालिबान का तब तक सामना करेगी  जब तक उसे अहसास नहीं हो जाता कि बातचीत ही शांति का एकमात्र रास्ता है।  


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Content Writer

Tanuja

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