Live: तालिबान के खिलाफ अफगान महिलाओं ने छेड़ी मुहीम, फैशनेबल कपड़ों में शेयर की तस्वीरें

punjabkesari.in Tuesday, Sep 14, 2021 - 01:48 PM (IST)

काबुल:  तालिबान ने  15 अगस्त को पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद 7 सितंबर को  अपनी सरकार की घोषणा की।  तालिबान के दावे के विपरीत पूरी कैबिनेट में एक भी महिला शामिल नहीं है।  तालिबान शासन लागू होते ही वहां के तौर-तरीके में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। जहां अपनी सरकार लागू करते ही तालिबान ने बड़े-बड़े वादे किए थे वहीं ये सारे दावे अब खोखले होते दिखाई दे रहे हैं। अफगानिस्तान में  से हाल ही में कई ऐसी तस्वीर आई है जिसमें एक क्लास में लड़के और लड़कियों को अलग करने के लिए बीच में पर्दा लगाया गया है।  अफगानिस्तान की हर खबर के लिए जुड़ें Punjabkesari.in के साथ...

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  • दरअसल, तालिबान ने साफ कर दिया है कि महिलाओं को पुरुषों के साथ काम करने नहीं दिया जाएगा। अब अफगानिस्तान में लोकतंत्र की नहीं बल्कि शरिया कानून लागू किया जाएगा।  इस बीच तालिबान के उच्च शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि इस्लाम की शरीयत के विपरीत कुछ विषयों को उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम से हटा दिया जाएगा। तालिबान के नित नए फरमानों से तंग आकर अफगानिस्तान में महिलाओं ने खुलकर उनके बगावत शुरू कर दी है।
  • महिलाओं ने तालिबान के नए ड्रेस कोड के खिलाफ मुहीम शुरू कर दी है। अफगान महिलाएं स्कूली छात्राओं के लिए तालिबानी परिधार की निंदा कर रही हैं और इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया को अपनो सबसे बड़ा हथियार बनाया है। ये महिलाएं कलरफुल ट्रेडिशनल वियर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हैं और #DoNotTouchMyClothes, #AfghanistanCulture #freeafganistan जैसे हैशटैग इस्तेमाल कर रही हैं।  

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  • इस कैंपेन की शुरुआत अफगानिस्तान में अमेरिकन यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर बहार जलाली ने की है। अब उनके समर्थन में सैकड़ों अफगान महिलाएं इससे जुड़ रही हैं और तालिबान कानूनों का विरोध करते हुए अपनी तस्वीरें और पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हैं। तालिबान के नए उच्च शिक्षा मंत्री ने रविवार को घोषणा की थी कि महिलाओं को अफगानिस्तान में विश्वविद्यालयों में जाने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन इसके लिए उन्हें पुरुषों से अलग-थलग रहने के नियमों और इस्लामी ड्रेस कोड का पालन करना होगा।
     
  • काबुल की एक सरकारी यूनिवर्सिटी में महिला छात्रों ने शनिवार को काले कपड़े पहनकर तालिबानी झंडे लहराते हुए फोटो खिंचवाई। जलाली के अनुसार उनके अभियान का उद्देश्य तालिबान की ओर से फैलाई जा रही गलत सूचनाओं के खिलाफ सही जानकारी देना और शिक्षा देना है। जलाली ने कहा कि अफगानिस्तान में आज तक किसी भी महिला ने कभी इस तरह के कपड़े नहीं पहने हैं। यह पूरी तरह से विदेशी और अफगान संस्कृति के लिए विदेशी है।

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  • उधर, कार्यवाहक उच्च शिक्षा मंत्री शेख अब्दुल बाकी हक्कानी ने कहा कि पाठ्यक्रम में कुछ बदलाव लाए जाएंगे। बदलाव इस्लामिक शरीयत पर आधारित होंगे। उन्होंने कहा कि जब नए पाठ्यक्रम की तैयारी पूरी हो जाएगी तो तिथि की घोषणा की जाएगी और इसमें एक सप्ताह से भी कम समय लगेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर विषय जो इस्लामी कानूनों के खिलाफ है, उसे हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही मंत्रालय ने कहा कि वह भविष्य में उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को विदेश भेजने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करेगा।
     
  • बकी ने कहा, ''महिलाएं स्नातकोत्तर स्तर सहित सभी स्तर के विश्वविद्यालयों में पढ़ सकती हैं लेकिन कक्षाएं लैंगिक आधार पर विभाजित होनी चाहिए और इस्लामी पोशाक पहनना अनिवार्य होगा। ''  हक्कानी ने कहा कि विश्वविद्यालय की महिला विद्यार्थियों को हिजाब पहनना होगा लेकिन इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि इसका मतलब केवल सिर पर स्कार्फ पहनना है या इसमें चेहरा ढकना भी अनिवार्य होगा।

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  • तालिबान ने पिछली बार अपने शासन के दौरान कला एवं संगीत पर प्रतिबंध लगा दिया था। तालिबान ने उस वक्त, लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा से वंचित कर दिया गया था और सार्वजनिक जीवन से बाहर रखा गया था। अब एक बार फिर जब तालिबान की सरकार बनी है तो दुनिया की नजर टिकी है।
     
  • तालिबान ने सोमवार को अफगान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के घर धावा बोला और दावा किया कि वहां से बड़ी मात्रा में कैश और सोना जब्त किया है। स्थानीय खबरों के मुताबिक, तालिबान ने वायरल वीडियो में यह दावा किया है उसने पंजशीर प्रांत में सालेह के घर से 60 लाख डॉलर और 15 सोने की ईंटें बरामद की हैं। खामा प्रेस न्यूज एजेंसी के मुताबिक, तालिबानियों के हाथ में अमेरिकी डॉलर की गड्डियां और सोने के बिस्कुट दिखe रहे हैं। हालांकि, सालेह और रेजिस्टेंस फ्रंट ने अभी तक इसपर कोई बयान नहीं दिया है।

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  •  इससे पहले तालिबान ने अमरुल्लाह सालेह के भाई रोहुल्लाह सालेह पर गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। कुछ रिपोर्ट्स में अब यह दावा किया जा रहा है कि सालेह पंजशीर में नहीं हैं और वह ताजिकिस्तान भाग चुके हैं। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद सिर्फ पंजशीर ही ऐसा प्रांत था जहां तालिबान का नियंत्रण नहीं था।
     
  • हालांकि, इसी महीने की शुरुआत में तालिबान ने दावा किया कि अब पंजशीर भी पूरी तरह उसके कब्जे में हैं। पंजशीर को पूर्व अफगान गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद का गढ़ माना जाता है, जहां उनकी तैयार की गई विद्रोही सेना तालिबान से लगातार लोहा ले रही है। पंजशीर को बचाने में अहमद मसूद को अमरुल्लाह सालेह का साथ मिल रहा था।

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  • तालिबान लड़ाकों ने अपने सबसे कट्टर दुश्मनों में से एक अफगानिस्तान के पूर्व सैन्य जनरल अब्दुल राशिद दोस्तम के भव्य महल पर कब्जा कर लिया है। अब इसका हर हिस्सा तालिबान लड़ाकों के हाथों में है।  इस महल में तालिबान के सबसे शक्तिशाली कमांडरों में से एक कारी सलाहूद्दीन अयोउबी और उसके समर्थक ऐश कर रहे हैं। तालिबानी कमांडर की सुरक्षा में तैनात 150 आतंकी अब इस घर में रह रहे हैं। गत 15 अगस्‍त को काबुल पर तालिबान के कब्‍जे के बाद से ही ये आतंकी दोस्‍तम के घर में मजे लूट रहे हैं।
     
  •  अफगानिस्तान में ताालिबान सरकार बनने के बाद चीन ने अब बड़ी मदद का ऐलान किया है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र में चीनी मिशन के प्रमुख  व वरिष्ठ राजनयिक चेन शू ने सोमवार को बताया कि चीन ने  संकटग्रस्ट देश अफगानिस्तान को भोजन, सर्दियों के लिए आवश्यक सामग्री, कोविड वैक्सीन और 20 करोड़ युआन की दवाएं तत्काल उपलब्ध कराने का फैसला किया है। चीन ने कहा है कि  संकट  से घिरे अफगानिस्तान को वह कोविड-19 वैक्सीन की 30 लाख से अधिक डोज दान में देगा।
     
  •  अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने अफगान मुद्दे पर जहां भारत के प्रयासों की तारीफ की वहीं तीलिबान को स्पोर्ट को लेकर पाकिस्तान की जमकर क्लास लगाई। ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका आने वाले हफ्तों में पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों पर विचार करेगा और सोचेगा कि अफगानिस्तान के भविष्य में अमेरिका पाकिस्तान को क्या भूमिका निभाते देखना चाहेगा।  उन्होंने  नाराज अमेरिकी सांसदों को स्पष्ट किया कि अमेरिका यह देखेगा कि बीते बीस वर्षों में पाकिस्तान की भूमिका क्या रही है। ब्लिंकेन ने इस दौरान अफगानिस्तान में भारत की मौजूदगी को भी सराहा। उन्होंने कहा कि भारत की मौजूदगी से अफगान में पाकिस्तान की नुकसानदेह गतिविधियों पर असर जरूर हुआ है।

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Content Writer

Tanuja

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