जंग का एक सालः इजराइल से पंगा लेकर बर्बाद हुआ हमास, गाजा में मौत-तबाही और भूख ! मांओं की गोद में बच्चों की मौत, तस्वीरें देख दहल रही दुनिया

punjabkesari.in Monday, Oct 07, 2024 - 11:57 AM (IST)

International Desk: गाजा पट्टी में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जारी संघर्ष को एक साल पूरा हो गया है। इस एक साल के दौरान वहां की सड़कों पर बिखरे शव, अस्पतालों में दम तोड़ते मासूम और मलबे में दफन होते परिवारों की कहानियों ने पूरे विश्व को हिलाकर रख दिया है।  जंग ने इस छोटे से इलाके को मानो धरती पर नर्क बना दिया हो, जहां हर दिन मौत, तबाही और भूख की नई कहानियां जुड़ती चली गईं। 365 दिनों की इस जंग में केवल बमों और गोलियों से ही नहीं, बल्कि भूख से भी गाजा के लोगों की मौत हो रही थी। 29 फरवरी 2024 को खाने के लिए लाइन में खड़े गाजा के लोगों पर इजराइली सैनिकों ने फायरिंग कर दी।

ये भी पढ़ेंः Israel-Hamas War का एक सालः इजराइल ने अपने 1200 नागरिकों के बदले हमास के 42 हजार लोग मारे; तबाह कर दिया गाजा, पिक्चर अभी भी बाकी....

 

PunjabKesari

इस घटना में 112 फिलिस्तीनी मारे गए और 760 लोग घायल हुए।इजराइल ने गाजा पर खाने-पीने की चीजों की सप्लाई पर रोक लगा दी थी। वहां के लोगों को जरूरत की चीजें नहीं मिल पा रही थीं। कई बार मानवीय सहायता के लिए लाए गए ट्रकों को इजराइल ने गाजा में एंट्री नहीं करने दी। अप्रैल 2024 में खाने का सामान पैराशूट के जरिए गाजा में गिराया गया, लेकिन यह बहुत कम था।   इस जंग में 16,000 से ज्यादा बच्चे मारे गए और 18,000 से ज्यादा बच्चे अनाथ हो चुके हैं। वे बच्चे जो कभी स्कूल जाते थे, अब मौत और तबाही के बीच अपने परिवार की कमी महसूस करते हुए जी रहे हैं।

PunjabKesari
इंसानियत की हार
एक साल से चली आ रही इस जंग ने गाजा को एक कब्रिस्तान में तब्दील कर दिया है। यहां हर परिवार किसी न किसी तरह की तबाही का शिकार हुआ है। मासूम बच्चों की मौत, माताओं का रोना, और घरों का मलबे में बदलना इस जंग की क्रूरता की गवाही दे रहे हैं। इजराइल और फिलिस्तीन के इस संघर्ष ने केवल जानें ही नहीं, बल्कि इंसानियत को भी गहरी चोट दी है, और यह दर्द पीढ़ियों तक महसूस किया जाएगा।

Also read: Middle East में तनाव का नया अध्यायः इजरायल ने बेरूत को बनाया 'बारूद का ढेर', लेबनान की धरती पर खींची नई सीमाएं !

PunjabKesari

खालिद और तामेर की दर्दनाक कहानी 
9 साल के खालिद जोदेह के परिवार की खुशहाल दुनिया 22 अक्टूबर 2023 को एक धमाके में पूरी तरह खत्म हो गई। उत्तरी गाजा पर शुरू हुए हवाई हमलों के 15 दिन के भीतर इजरायली सेना गाजा पट्टी के मध्य तक पहुंच चुकी थी, जहां खालिद अपने परिवार के साथ रहता था। अचानक हुए हमले में उसके माता-पिता, एक भाई और बहन की मौत हो गई। परिवार में सिर्फ खालिद और उसका 7 साल का छोटा भाई तामेर बचे थे। हमले में तामेर की पीठ और पैर में गहरी चोटें आई थीं। उम्र में तामेर से सिर्फ 2 साल बड़ा खालिद उसे जीने का हौसला देता रहा। दोनों भाइयों का सहारा अब केवल एक-दूसरे का साथ था। खालिद उसे दिलासा देता, कहता कि माँ-बाबा आसमान से देख रहे हैं और उनके रोने से उन्हें दुख पहुँचेगा।

PunjabKesari

डर और दर्द से टूट रहे मासूम
 लेकिन समय बीतने के साथ-साथ खालिद का हौसला भी कमजोर पड़ने लगा। तामेर की चोटें गंभीर थीं, और कुछ ही दिन बाद उसकी भी मौत हो गई। तामेर की मौत के बाद खालिद अकेला रह गया। रातों में वह डर से उठकर चीखने लगता था। उसकी छोटी उम्र में ही उसने जितना दर्द सहा था, वह उसे अंदर से तोड़ चुका था। आखिरकार, कुछ महीनों बाद इजरायली हमले में घायल होकर खालिद ने भी दम तोड़ दिया। यह कहानी गाजा की जंग में हजारों ऐसे बच्चों की है, जिन्होंने अपनी मासूमियत खोकर सिर्फ मौत देखी।

PunjabKesari

मांओं की गोद में बच्चों की मौत
 17 अक्टूबर 2023 को रॉयटर्स के फोटोग्राफर मोहम्मद सालेम को सूचना मिली कि इजराइली हमले में खान यूनिस के अस्पताल में घायल लोग भर्ती किए गए हैं। वहां भगदड़ मची हुई थी। उनकी नजर एक औरत पर पड़ी जो अपनी गोद में अपनी 5 साल की भतीजी सैली की लाश लिए बैठी थी। यह महिला इनास अबु मामार थी, जिसका घर इजराइली हमले में पूरी तरह तबाह हो गया था। उसकी गोद में सैली की नन्ही लाश थी, और अस्पताल के कर्मचारी उसे समझा रहे थे कि लाश को नीचे रख दे, लेकिन वह टस से मस नहीं हो रही थी। उसका पूरा परिवार खत्म हो चुका था।

PunjabKesari

मोहम्मद अलालौल की दर्दनाक तस्वीर
 फिलिस्तीन के मशहूर फोटो जर्नलिस्ट मोहम्मद अलालौल ने एक फोटो खींची थी, जिसमें वह अपने 5 नवंबर 2023 को इजरायली हमले में मारे गए बच्चे को सफेद चादर में लिपटा हुआ देख रहे थे। अलालौल ने बताया कि उनके घर पर रात के वक्त बम गिरा, जब उनके चारों बच्चे सो रहे थे। हमला इतना तेज था कि घर मलबे में बदल गया, और जब तक वह वापस लौटे, उनके चारों बच्चों की लाशें मलबे में दब चुकी थीं। 

PunjabKesari
 
हमले में  नवजात जुड़वां बच्चों की मौत
जुड़वां बच्चों रानिया नाम की एक महिला ने 7 अक्टूबर के कुछ हफ्ते बाद जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। परिवार में खुशियां थीं, बच्चों का नाम रखा गया था - वेसाम और नईम। लेकिन जंग के सिर्फ कुछ ही महीनों में इजराइली बमबारी ने उनकी ये खुशियां छीन लीं। बम हमले में दोनों जुड़वां बच्चे मारे गए। रानिया सफेद चादर में लिपटे अपने बच्चों पर बिलखते हुए सवाल करती हैं, "मेरे बच्चों का क्या कसूर था?"

PunjabKesari

अस्पतालों की तबाही और जिंदगी बचाने की जद्दोजहद
इजराइली हमलों के बाद गाजा के अस्पताल जिंदा रहने की लड़ाई के केंद्र बन गए थे। 7 अक्टूबर से शुरू हुए हवाई हमलों के बीच घायल लोगों की तादाद इतनी बढ़ गई थी कि डॉक्टरों को यह तय करना पड़ रहा था कि किसे बचाना है और किसे मरने के लिए छोड़ देना है। अस्पतालों में दवाइयों, ऑक्सीजन सिलेंडरों और एनेस्थीसिया की भारी कमी हो गई थी। कई मरीजों का इलाज बिना एनेस्थीसिया के किया गया।  5 नवंबर को अल-अक्सा अस्पताल में फर्श पर घायल लोगों का इलाज हो रहा था। मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई थी कि डॉक्टरों को इलाज के लिए टेबल के बजाए फर्श का सहारा लेना पड़ रहा था। इजराइली हमलों ने अस्पतालों को भी निशाना बनाया, जिससे वहां भी सुरक्षित रहना मुश्किल हो गया। गाजा के 36 अस्पतालों में से 31 को इजराइली हमलों में भारी नुकसान पहुंचा।

PunjabKesari

भूख, बेबसी और घरों की तबाही
9 साल का यजान कफरनेह गाजा के उन बच्चों में से एक था, जो भूख के कारण मारा गया। उसकी मां रोते हुए बताती हैं कि यजान को बचाने के लिए किसी चमत्कार की जरूरत नहीं थी, बस उसे समय पर पौष्टिक भोजन चाहिए था। उसकी मौत यह दिखाती है कि गाजा में कितने ही मासूम बच्चे भूख की वजह से मर रहे हैं। इजराइली हमलों में हजारों फिलिस्तीनी अपने घर खो चुके हैं। जंग के दौरान गाजा की लगभग 21 लाख आबादी में से 17 लाख से अधिक लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए। कई लोग मलबे में दबकर मारे गए, और जो बच गए, उन्हें राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है। गाजा में इतनी तबाही मच चुकी है कि यहां का मलबा मिस्र के गीजा पिरामिड को 11 बार भर सकता है।  जंग ने गाजा के बच्चों का मासूम बचपन भी छीन लिया है। 5 साल की अया जैसे हजारों बच्चे, जो अब संयुक्त राष्ट्र के राहत शिविरों में रह रहे हैं, अपने हाथों में खिलौने लिए बमबारी और गोलियों की आवाज़ों के बीच जीने की कोशिश कर रहे हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Related News