स्टारलिंक को मिलने वाली है कड़ी टक्कर, अमेजन भारत में जल्द लॉन्च कर सकता है सैटेलाइट इंटरनेट सेवा
punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 09:25 PM (IST)

टेक डेस्क : भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की तैयारी तेज हो रही है। अमेजन अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस प्रोजेक्ट "कुइपर" के साथ भारतीय बाजार में एंट्री करने वाला है। अनुमान है कि कंपनी अगले साल से यहां अपनी सेवाएं शुरू कर सकती है। इससे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की प्रतिस्पर्धा और भी दिलचस्प हो जाएगी, क्योंकि पहले से ही स्टारलिंक, वनवेब और जियो सैटेलाइट जैसे बड़े खिलाड़ी सक्रिय हैं।
क्यों हो रही है देरी?
अमेजन की भारत में कमर्शियल सर्विस लॉन्च करने में अभी कुछ समय लग सकता है। कंपनी के पास फिलहाल भारत में सर्विस शुरू करने के लिए आवश्यक सैटेलाइट नेटवर्क मौजूद नहीं है। इसके अलावा, भारतीय सरकार की सुरक्षा और लाइसेंसिंग शर्तें भी बड़ी चुनौती हैं। अमेजन फिलहाल सरकार के साथ कम्प्लायंस और लाइसेंसिंग से जुड़े मुद्दों पर बातचीत कर रही है। खासतौर पर, भारत में डेटा को लोकली स्टोर करने जैसी शर्तों पर कंपनी गंभीरता से विचार कर रही है।
अमेजन ने अक्टूबर 2023 में GMPCS (Global Mobile Personal Communication by Satellite) लाइसेंस के लिए आवेदन किया था और IN-SPACe से भी परमिशन मांगी है।
भारत में मुख्य प्रतियोगी कौन-कौन हैं?
भारत सरकार ने अब तक तीन कंपनियों को सैटेलाइट कम्युनिकेशन सर्विस शुरू करने की अनुमति दी है। इनमें वनवेब, जियो-SES जॉइंट वेंचर और एलन मस्क की स्टारलिंक शामिल हैं। हालांकि, ग्राहकों को यह सेवाएं तब ही उपलब्ध होंगी जब सरकार स्पेक्ट्रम आवंटित करेगी और कीमत तय होगी।
बाजार कितना बड़ा है?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सैटेलाइट कम्युनिकेशन सेक्टर 2028 तक 20 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह एक विशाल बाजार है, जहां कई कंपनियों के लिए अवसर हैं। मई 2024 में TRAI ने सुझाव दिया था कि सैटेलाइट कंपनियों को अपने AGR (Adjusted Gross Revenue) का 4 प्रतिशत सरकार को स्पेक्ट्रम चार्ज के रूप में देना होगा। इसके अलावा, शहरी ग्राहकों से प्रति यूजर 500 रुपये का अतिरिक्त वार्षिक चार्ज भी लिया जा सकता है।
अमेजन का कुइपर ग्लोबल नेटवर्क
अमेजन ने इस प्रोजेक्ट में अब तक 10 अरब डॉलर से अधिक निवेश करने का वादा किया है। कंपनी ने अब तक 100 से अधिक सैटेलाइट्स ऑर्बिट में भेजे हैं। इसका लक्ष्य करीब 3,200 सैटेलाइट्स का बड़ा नेटवर्क बनाना है। कंपनी उम्मीद कर रही है कि साल के अंत तक कुछ देशों में अपनी सेवा शुरू कर देगी। तुलना करें तो स्टारलिंक के पास 6,700 से ज्यादा सैटेलाइट्स हैं, जबकि वनवेब के नेटवर्क में 648 सैटेलाइट्स शामिल हैं।