Review: नक्सल, आदिवासियों और माइनिंग की अंधेरी दुनिया को सामने लाती है The Jengaburu Curse, हैरान कर देगी कहानी
punjabkesari.in Wednesday, Aug 09, 2023 - 10:27 AM (IST)
वेब सीरीज - द जेंगाबुरु कर्स (The Jengaburu Curse)
निर्देशक - नीला माधब पांडा (Nila Madhab Panda)
स्टारकास्ट- फारिया अब्दुल्ला (Faria Abdullah), नासर (Nasser), सुदेव नायर (Sudev Nair),मकरंद देशपांडे (Makrand Deshpande), दीपक संपत (Deepak Sampat), हितेश दवे (Hitesh Dave)
OTT - Sony LIV
रेटिंग- 3*/5
The Jengaburu Curse: कहते हैं न कि हर चीज का अंत है लेकिन मनुष्य के लालच का कोई अंत नहीं है। मानव अपनी लालसा को पूरा करने के लिए प्रकृति को दिन प्रतिदिन खोखला बनाता जा रहा है। इसी मुद्दे को उजागर करती भारत की पहली क्लाइ-फाई थ्रिलर वेब सीरीज यानी आज यानी 9 अगस्त को सोनी लिव पर स्ट्रीम हो गई है। 'द जेंगाबुरु कर्स' का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता नीला माधब पांडा ने किया है। इस सीरीज के जरिए दर्शक मनोरंजन के साथ पर्यावरण से संबंधित जरूरी मुद्दों के प्रति जागरुक भी होंगे। सीरीज में मकरंद देशपांडे, सुदेव नायर, नासर, फारिया अब्दुल्ला, दीपक संपत और हितेश दवे मुख्य भूमिकाओं में नजर आ रहे हैं। आइए जानते हैं सीरीज कहानी...
कहानी
सीरीज की कहानी एक महिला और उसके साथ भागते हुए बच्चे से शुरू होती है। अपने पति के शव के लिए वह महिला कुछ लोगों के सामने गिड़गिड़ाती है लेकिन वह लोग उसकी एक नहीं सुनते और शव को जमीन में दफ्ना देते हैं। वहीं लंदन में नौकरी कर रही प्रिया को उसके पापा के एक दोस्त रविचंद्रन राव का भुवनेश्वर से फोन आता हैं, वह उसे बताते हैं कि स्वतंत्र दास यानी प्रोफेसर दास पिछले चार दिनों से गायब हैं। पुलिस को एक बॉडी मिली है, उनका मानना है कि शायद वह प्रोसेदर दास हैं। ऐसे में उसे यहां आकर बॉडी की पहचान करनी होगी। प्रिया अस्पताल जाकर देखती है कि बॉडी उसके पिता की नहीं है। यहीं से प्रिया अपने पिता को ढूंढ़ने में लग जाती है। प्रिया कहती है कि शायद उसके पिता जंगाबुरु गए हों, क्योंकि वहां नेटवर्क नहीं आते है। इसके जवाब में रविचंद्रन प्रिया को बताते हैं कि नहीं अब वहां कोई नहीं रहता क्योंकि जंगाबुरु में माइनिंग शुरू हो गई है, जिसकी वजह से पूरा इलाका खाली करा दिया गया है।
जंगाबुरु में बड़े स्तर पर माइनिंग की जा रही है, जहां मजदूरों से दिन रात खदानों में काम करवाया जा रहा है। माइनिंग और मजदूरों पर पूरा कंट्रोल श्रीनिवास और बनर्जी का है, जो चील की तरह उनपर पूरी नजर रखते हैं। इसी बीच एक मजदूर माइनिंग की वीडियो बना लेता है लेकिन जैसे ही वह वीडियो किसी को देने जाता है, माइनिंग से ताल्लुक रखने वाले लोग उसे पकड़ लेते हैं। वहीं प्रिया पुलिस स्टेशन जाकर अपने बाबा की गुमशुदा होने की रिपोर्ट करती है। यहां उसे पता चलता है कि प्रोफेसर राव के दोस्त मानसिंह अस्पताल में भर्ती हैं। वह प्रिया को बताते हैं कि उसके पिता को नक्सल ने किडनैप कर लिया है।
इसके बाद प्रिया प्रेस कॉन्फ्रेस करके नक्सलवादियों से रिक्वेस्ट करती है कि उसके पिता को छोड़ दें। रात को मानसिंह प्रिया को फोन करके बुलाते हैं और कहते हैं कि उन्हें प्रोफेसर राव के बारे में एक जरूरी बात बतानी है। प्रिया उनसे मिलने जाती है लेकिन इससे पहले ही मानसिंह की हत्या कर दी जाती है। आखिर ये कौन लोग थे? प्रोफेसर राव को नक्सल ने किडनेस किया है या किसी और ने? क्या प्रिया अपने पिता को ढूंढ़ पाएगी? और क्या माइनिंग का राज पूरी दुनिया के सामने आ पाएगा? यह देखने के लिए आपको सीरीज देखनी होगी।
एक्टिंग
पूरी सीरीज में फारिया अब्दुल्ला ने अपने किरदार को जिया है। उन्होंने प्रोफेसर दास की बेटी प्रिया के रूप में स्क्रीन पर जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है। वहीं नासर और सुदेव नायर ने भी बेहतरीन काम किया है। इसी के साथ मकरंद देशपांडे ने भी डॉक्टर और एक्टिविस्ट के रूप में बढ़िया एक्टिंग की है। दीपक सावंत और हितेश दवे का काम भी काफी अच्छा है। कुल मिलाकर कहें तो सीरीज में सभी कलाकारों ने अपना काम बखूबी से निभाया है।
डायरेक्शन
'द जेंगाबुरु कर्स' निर्देशक के रूप में नीला माधब पांडा की ओटीटी डेब्यू सीरीज है। मयंक तिवारी द्वारा लिखित कहानी को उन्होंने शानदार तरीके से पर्दे पर उतारा है। एक-एक सीन पर उनकी मेहनत साफतौर पर झलकती है। अवैध खनन, अज्ञात मौतें, विस्थापित समुदायों की समस्या और एक गुमशुदा पिता को खोजती बेटी के स्क्रीन स्पेस को उन्होंने शानदार तरीके से बैलेंस किया है। क्लाइमेट फिक्शन पर आधारित इस सीरीज से दर्शक आखिरी तक जुड़े रहते हैं। आखिरी लाइन में कहें तो यह सीरीज देखने लायक है।